Book Title: Jain Bharti 3 4 5 2002
Author(s): Shubhu Patwa, Bacchraj Duggad
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 121
________________ की। सिपाही वृद्धा 'जिसको मैंने हथकड़ी पहनाई?' । हां, महोदय, उसका विवाह मेरी लड़की के साथ तन्जोमारू कहलाने वाला यह एक नामी डाकू है। हुआ था। 'क्योतो' नहीं वह वाकासा के 'कोफ्कू' जिले का सेमुराई था। उसका नाम 'कानाजावा नो ताकहिको' था। गिरफ्तारी के वक्त वह घोड़े से गिरा था और वह छब्बीस वर्ष का था। स्वभाव से एकदम नम्र। उसने आवातागुची पुल पर चीखता हुआ जा रहा था। कभी किसी से अनुचित या उत्तेजित करने वाली बात नहीं 'समय?' कल रात का पिछला पहर था। सारी बातें तरतीब से 'मेरी बेटी?' यूं दर्ज की जाएं। 'मासागो' सिर्फ सोलह साल की है। वह साहसी कुछ दिन पहले भी मैंने इसको पकड़ने की कोशिश लडकी कला में दिलचस्पी रखती है, लेकिन वह ताकहिको की थी. लेकिन हाथ से निकल गया। बकरे की मां कब तक के सिवा किसी दूसरे पुरुष को नहीं जानती है। छोटे आकार खैर मनाती! अबकी बार बदमाश पकड़ाई में आ गया। यह का उसका मुंह कुछ-कुछ सांवला है। उसकी बाईं आंख के उस वक्त गहरा नीला किमोनो पहने था। कोने पर तिल है। कल ताकहिको मासागो को साथ लेकर इसके हाथ में चौरस तलवार थी, जिसे आप सामने वाकासा जा रहे थे। मेरी बदनसीबी से उसके हाथ यह देख रहे हैं। इसके पास धनुष-बाण भी था। हादसा पेश आया। समझ नहीं आता कि मेरी बिटिया का 'क्या यह हथियार मृतक से छीने गए थे ?' क्या हुआ। वह कहां गई? मुझे उसका कोई अता-पता नहीं है। एक तो दामाद की मौत ने मेरी कमर तोड़ दी, उस पर जी हां, आप बिल्कुल सही हैं। इसने यह हथियार बेटी भी लापता हो गई। मैं क्या करूं? कहां जाऊं? नहीं, मृतक से छीने थे। इसके हथियारों की फेहरिस्त में लंबी पट्टी बर्दाश्त नहीं हो रहा है मुझसे। मैं हाथ जोड़ रही हूं, भगवान में बंद धनुष, काला तरकस, छोटे-छोटे पंखों वाले हजारों के लिए मेरी बेटी को जल्दी से जल्दी खोजा जाए। यह जो बाण शामिल थे। डाकू तन्जोमारू या क्या है, इसका बुरा हो। इसे देखकर बेशक इसके ललछौंह भूरे मुझे मतली आती रही है। इसने घोड़े का नाम दिलकश था। घोड़े मेरा सब कुछ लूटा है। मुझ पर के गले में लगाम झूल रही थी। उफ! मृतक लगभग पांच फीट-पांच अत्याचार किया। मेरे दामाद ही घोड़े से गिरकर भी इस हरामी की इंच का था। पुरोहित होने के कारण नहीं, बेटी की भी...। हड्डी-पसली का कचूमर नहीं लोगों का अंग विस्तार देखने की (अश्रु प्रवाह से गला रुंध निकला, इसे इसकी खुशनसीबी मेरी आदत नहीं है। यह मेरे धर्म के जाता है) ही कहा जा सकता है। विपरीत है। एक बात मुझे ठीक से याद है कि मृतक के पास एक तीर- तन्जोमारू की स्वीकारोक्ति ___ डाकू सरदार तन्जोमारू ने कमान था। आह, नियति! किसको हां, मैंने उस आदमी को आज हमारे कस्बे की एक औरत पता था इसकी यह दुर्दशा होगी! मारा है, लेकिन उसकी औरत को को जैसे जिंदा ही मार डाला है। मानव जीवन वास्तव में उषाकालीन मारने का इलजाम सरासर गलत लोगों की हत्या करना इसका पेशा हिमकणों या घटा में बंद बिजली है। वह कहां गई, यह मैं क्या है। पिछले शरद में पिंडोरा पहाड़ी जैसा अस्थिर है। ऐसी दयनीय मौत जानू ? ठहरो, एक मिनट ठहरो! पर आई एक महिला कुछ दिनों बाद पर शोक प्रकट करने के लिए मेरे मरी हुई पाई गई थी। उसकी हत्या पास शब्द ही नहीं हैं। ___हां, तुम्हारी जोरका संदेह इसी पर किया जाता है। जबरदस्ती से मैं झूठे इलजाम मान यह ऐसा नामी खूनी है...। आदमी लूंगा—यह तुम्हारी गलतफहमी को मारने पर इसने उसकी बीवी के साथ क्या किया होगा, होगी। इस हादसे के बाद कोई ऐसी स्थिति बाकी नहीं रही इसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन यह एक ऐसी है, जिसके लालच में मैं बचने की आशा से झूठ बोलूं। बात है, जिस पर खास तौर से ध्यान दिया जाना जरूरी है। इसलिए मैं साफ-साफ बयां करता हूं कैसे क्या-क्या स्वर्ण जयंती वर्ष जैन भारती 120 • अनेकांत विशेष मार्च-मई, 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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