Book Title: Jain Bharti 3 4 5 2002
Author(s): Shubhu Patwa, Bacchraj Duggad
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 151
________________ हुए देखा। पूर्वजन्म का वैर उभर आया। उसने भगवान नौका को उलटना चाहा, परंतु उसका प्रयत्न सफल से बदला लेना चाहा। (पूर्वजन्म में यह नागकुमार एक नहीं हुआ। कंबल संबल नामक नागकुमार देव वहां सिंह था और भगवान ने अपने पूर्वजन्म में जब वासुदेव आए। सुन्द्रष्टा को उपसर्ग करने से रोका। सविधि नदी थे, तब उस सिंह को मारा था।) आवेग बढ़ा। को पार कर भगवान नौका से उतरे। ईर्यापथ का नागकुमार देव ने नदी में संवर्तक वायु की विकुर्वणा कर प्रतिक्रमण कर आगे चले। फार्म-4 (नियम 8 देखिए) 1. प्रकाशन स्थान : गंगाशहर, बीकानेर 2. प्रकाशन अवधि : मासिक 3. मुद्रक का नाम क्या भारतीय नागरिक है : दीपचन्द सांखला : हां : सांखला प्रिण्टर्स, सुगन निवास चन्दनसागर, बीकानेर पता 4. प्रकाशक का नाम क्या भारतीय नागरिक है पता : भंवरलाल सिंघी : हां : जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा शाखा कार्यालय तेरापंथी भवन, गंगाशहर 334401 (बीकानेर) राजस्थान 5. संपादक का नाम .. क्या भारतीय नागरिक है पता : शुभू पटवा : हां : भीनासर, बीकानेर 6. उन व्यक्तियों के नाम व पते जो : जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा समाचार पत्रों के स्वामी हों तथा 3, पोर्चुगीज चर्च स्ट्रीट, कोलकाता-1 जो समस्त पत्रों के एक प्रतिशत से अधिक के साझेदार या हिस्सेदार हों। मैं भंवरलाल सिंघी एतदद्वारा घोषित करता हूं कि मेरी अधिकतम जानकारी एवं विश्वास के अनुसार ऊपर दिए गए विवरण सत्य हैं। भंवरलाल सिंघी प्रकाशक के हस्ताक्षर म्वर्ण जयंती वर्ष जैन भारती 150. अनेकांत विशेष मार्च-मई, 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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