Book Title: Bauddh tatha Jain Dharm
Author(s): Mahendranath Sinh
Publisher: Vishwavidyalaya Prakashan Varanasi

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Page 96
________________ होनेवाला अध्यवसाय विशेष । बेश्या के वर्णन द्वारा उत्तराध्ययन में व्यक्ति के बापरण के अनुसार शुभाशुभ फल का कथन किया गया है । व्यक्तियों के अच्छे और बुरे बापरण को तरतम भाव से छह भागो में विभक्त करके तदनुसार ही छह लेश्याओं के स्वरूप का वर्णन किया गया है । क्रमश उनके नाम है --कृष्ण नील कापोट तेज - १ उत्तराध्ययन ३४.३ तथा उत्तराध्ययनसूत्र एक परिशीलन पृ १६५ । २ पचासवप्पबत्तो तीहि अगत्तो छस अविरमओय । तिव्वारम्भपरिणओ खुददो साहसिओ नरो ।। निधन्यसपरिणामो निस्ससो अजिइदिओ। एयजोगसमाउत्तो किण्हलेसतु परिणम ।। उत्तराध्ययन ३४।२१ २२ ३४१४१ १६ २८२ ३३ ३४ ४३ ४५४८५६ ५८-६ । ३ इस्सा अमरिस-अतवो अवि ज-माया अहीगेद्धी पओसे य सढ रिया य । पमते रसलोलए सायगवे सए य । आरम्भाओ अविरमओखुद्दो साहस्सिओ नरो। एय जोगसमाउत्तो नील लेस तु परिणमे ।। वही ३४।२३ २४ ३४॥५१११६ १८२ ३३ ३५ ४२ ४९ ५६ ५८-६ । ४ वके वक समायारे नियडि ले अण जुए । पलिउचग ओवहिए मि छादिटठी अणारिए । उप्फालग दुटटवाईय तण यावि य मच्छरी । एय जोगसमाउत्तो काउलेस तु परिणमे ।। वही ३४४२५ २६ ३४।६ १२ १६ १८२ ३३ ३६ ४ ४१५ ५ नीयावित्ती अचवले अमाई अकु कहले । विणीयविणा दन्ते जोगव उवहाणव ॥ पियषम्मे दढषम्मे बज्जभीरु हिएसए । एय जोगसमाउत्तो तेउलेस तु परिणम ।। वही ३४।२७ २८ ३४१७१३ १७१९२ ३३ ३७४ ५१५३ ५७-६ ।

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