Book Title: Bangal Ka Aadi Dharm Author(s): Prabodhchandra Sen, Hiralal Duggad Publisher: Vallabhsuri Smarak Nidhi View full book textPage 5
________________ - (ख) बंगाली जैनेतर विद्वान हैं। आप ने इस लेख में 'बंगालदेश का प्राचीन धर्म कौन सा था' इस का ऐतिहासिक दृष्टि से बड़ा खाज पूर्वक विवेचन किया है। भारत की राष्ट्रभाषा वर्तमान में हिन्दी होने से लारे देशवासी इस लेख से लाभान्वित हों, इस विचार से मैंने इस लेख का कुछ आवश्यक सुधारों के साथ राष्ट्रभाषा में अनुवाद किया है। साथ ही जहां जहां इस लेख को अधिक स्पष्ट करने का आवश्यकता प्रतीत हुई है वहां वहां मैं ने अपनी तरफ से टिप्पणियां भी दे दी हैं। मेरा विचार है कि इन टिप्पणियों से इस लेख की प्रौढ़ता, प्रमाणिकता, रोचकता, तथा सुन्दरता में वृद्धि हुई होगी। मेरी धारणा है कि इस लेख से इतिहासज्ञ विद्वानां को विशेष रूप से जैन धर्म की प्राचीनता सम्बन्धी सामग्री उपलब्ध होगी। २. "बंगाल में जैन पुरातत्त्व सामग्रो' (परिशिष्ट रूप में) प्रथम तथा अंतिम इन दोनों लेखों के सम्बन्ध को जोड़ने के लिये मैं ने इसे लिखा है। इस में जैनधर्म के दोनों मूर्तिपूजक (श्वेताम्बरदिगम्बर) संप्रदायों में जैन तीर्थंकरों की मूर्ति सम्बन्धी मान्यता के विषय में स्पष्टीकरण है और यह भी बतलाया है कि पुरातत्त्वज्ञ विद्वान "जैन मूर्तियों सम्बन्धी शोध-खोज में विशेष सावधानी और तत्परता से काम लें। ३. "Jaina Antiquities in Manbhum" इस लेख के लेखक एक बंगाली विद्वान हैं। जिन का नाम पो० सी० राय चौधरी है । यह लेग्व अंग्रेजी की “Amrit Bazar Patrika'' में प्रकाशित हुआ था । वहां से साभार उद्धृत किया है । इस लेख मेंPage Navigation
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