Book Title: Bangal Ka Aadi Dharm
Author(s): Prabodhchandra Sen, Hiralal Duggad
Publisher: Vallabhsuri Smarak Nidhi

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Page 30
________________ ईसा की सातवीं शताब्दी में ह्यू सांग ने पौंड्रवर्धन, समतट, कर्णसुवर्ण, ताम्रलिप्ति एवं ओड्र इन स्थानों में कई बौद्ध स्तूप देखे थे तथा उस समय यही धारणा प्रचलित थी कि इन्हीं सब स्थानों में बुद्धदेव धर्म प्रचार करने आये थे। इसी लिये बाद में अशोक ने उन स्थानों में स्तूप बनवाये थे । सातवीं शताब्दी की यह प्रचलित धारणा कहां तक सत्य है अर्थात् बुद्धदेव ने पौंड्रवर्धन, समतट, कर्णसुवर्ण इत्यादि स्थानों में धर्मप्रचार किया था या नहीं, एवं ये सब स्तूप वास्तविक में अशोक द्वारा निर्माण किये गये थे या नहीं इस बात का वर्तमान समय में निःशंसय रूपसे निर्णय करना संभव नहीं है । तथापि बंगालदेश में अशोक के शासन तथा स्तूप निर्माण सम्बन्धी सातवीं शताब्दी की प्रचलित धारणा सर्वथा असत्य भी नहीं कही जा सकती । इस का प्रथम कारण यह है कि अशोक ने अपने साम्राज्य के सिवाय दूसरे राज्यों के विवरण में बंगाल के किसी भी जनपद का उल्लेख नहीं किया; दूसरे दिव्यावदान ग्रंथ ने अति स्पष्टतापूर्वक पौंड्रवर्धन नगर को अशोक के राज्य में वर्णन किया है। मात्र इतना ही नहीं; उक्त ग्रंथ में अन्यत्र भी लिखा है कि पूर्व दिशांतरगत “पौंड्रवर्धन” नामक नगर, उस के बाद “पौड़कक्ष" नामक पर्वत तत्पश्चात् सीमांत। यह सीमान्त किस का और किस समय का है इस विषय का कुछ भी उल्लेख नहीं है। यद्यपि यह बात बुद्धदेव के मुह से कहलाई गयी है तो भी अनुमान होता है कि “पौंड्रकक्ष” पर्वत अशोक के साम्राज्य तथा उस समय के बौद्ध प्रभाव का सीमान्त माना जाता होगा। यदि ऐसा ही हो तो अनुमान करना चाहिये कि पौंड्रवर्धन

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