Book Title: Bangal Ka Aadi Dharm
Author(s): Prabodhchandra Sen, Hiralal Duggad
Publisher: Vallabhsuri Smarak Nidhi

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ की अवस्था इन की. अपेक्षा अच्छी थी। और इन की संख्या भी कम न थी (there are some tens of Deva temples) पौराणिक ब्राह्मणधर्म के बहुत संप्रदाय थे किन्तु निग्रंथों (अर्थात् जैनों) की संख्या ही सब से अधिक थी। . . २. मगध-(वर्तमान पटना और गया जिला) यहां के वासी बौद्धधर्म को मानने वाले थे। यहां पर बौद्धों के पचास संघाराम [बौद्ध भिक्षाओं के रहने के स्थान] थे, एवं उन में दस हजार बौद्ध भिक्षु वास करते थे। वे भिक्षु अधिकतर महायानपंथी [बौद्धों के एक संप्रदाय को मानने वाले] थे । देवमन्दिरों तथा पौराणिक ब्राह्मण धर्मावलम्बियों की संख्या कम थी। मगध में जैन संप्रदाय के सम्बन्ध में ह्य सांग ने स्पष्टतया कुछ भी उल्लेख नहीं किया। किन्तु उस के विवरण से ही ज्ञात होता है कि प्राचीन राजगृह तथा. गिरिब्रज (पटना जिला अन्तर्गत अाधुनिक राजगिर) नगर के समीप विपुल नामक पर्वत पर एक स्तूप था एवं यहां पर बहुत निग्रंथ (जैन साधु) वास करते थे तथा तपस्यादि करते थे। वे लोग सूर्योदय से ले कर सूर्यास्त तक सूर्याभिमुख हो कर धर्म साधना करते थे (Beal II 158 Walters II 154, 155)। इस के अतिरिक्त नालंदा में भी (पटना जिले में बिहार महकमे के अन्तर्गत बड़गांव नामक स्थान) निग्रंथों का आवागमन था । ऐसा अनुमान किया जा सकता है । (Beal II, 168) ३. ईरण पर्वत-(मुगेर जिला) मगध से पूर्व दिशा की तरफ एक बड़े भारी आरण्य को पार कर ह्य सांग ने लगभग

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104