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बंगाल का आदि धर्म
ईसा की सातवीं शताब्दी के द्वितीय चरण के प्रारम्भ में बौद्ध चीनी यात्री ह्य ू सांग ने भारतवर्ष में आकर इस के भिन्न भिन्न प्रदेश में चौदह वर्ष [ई. स. ६३० से ६४४ ] तक परिभ्रमण किया था । उस के द्वारा लिखित विवरण से उस समय के भारतवर्ष के धर्म-संप्रदायों के विषय में अनेक बातें जानी जा सकती हैं। पूर्व भारतवर्षं तथा बंगाल देश के धर्म सम्प्रदायों की अवस्था सम्बन्धी उसने जो कुछ लिखा है यहां उस के प्रधान विवरण को हम संक्षेप से लिखते हैं
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१. वैशाली - यह राज्य वर्तमान बिहार के उत्तर प्रदेश में तिरहुत विभाग में अवस्थित था । मुज़फरपुर जिले के हाजीपुर महकमे के अन्तर्गत वर्त्तमान बेसार नामक गाव में प्राचीन वैशाली नगरी के ध्वंसावशेष मौजूद है । ह्य ू " सांग के विवरण से ज्ञात होता है कि ईसा की सातवीं शताब्दी में यहां के वासी विशेष धर्मपरायण थे तथा बौद्ध ओर अबौद्ध सब एक साथ मिलजुल कर वास करते थे । यहा पर बौद्धां की संस्थाएं [संघाराम मन्दिर आदि] कई सौ की संख्या में थीं । परन्तु उस संस्थाओं के अतिरिक्त बाकी सब ध्वंस हो चुकी भिक्षुओं की संख्या भी एक दम कम थीं । किन्तु
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* चीनी यात्री ने
अपने यात्रा विवरण में
बौद्धधर्म के
सिवाय
बौद्धों के मन्दिरों को देवमन्दिरों के नाम से
संबोधित किया
है । इन देवमन्दिरों में जैन मन्दिरों तथा पौराणिक संप्रदायों के मन्दिरों का समावेश होता है । ( अनुवादक ).
समय तीन चार
थीं
तथा बौद्ध देवमन्दिरों