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बन्दजिनवरम्।
जैनी कौन होसकता है
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मंगलाचरणम् । नमाश्रीवर्षमानाय निघूतकलिनात्मने । सालोकानां त्रिलोकानां यनियादर्पणायते ॥
जो जीव जैन धर्मको धारण करता है।
जैनी कौन हो सकता है ? [लेखक-बाबू जुगलकिशोरजी मुख्तार, देववन्द । ] जो जीव जैनधर्मको धारण करता है, वह जैनी कहलाता है।। परन्तु भाजकलके जैनी जैनधर्मको केवल अपनी ही पैतृक सम्पत्ति समझ बैठे हैं और यही कारण है कि वे जैनधर्म दूसरोको नहीं। बतलाते और न किसी मनुष्यको जैनी बनाते हैं। शायद उनको इस बातका मय हो कि, कहीं दूसरे लोगोके शामिल होजाने से हमारे इस मौरूसी तरकेमे अधिक भागानुपाग होकर हमारे हिस्समें बहुत
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