________________
( १४ )
अर्थ, जिस कालमै यो आत्मा अपना क्रियाका भोगनेकी इच्छाकरि परलोककूं जाय है तदि पंचभूतसंबंधी देहादिक प्रपंचनिकरि याकूं कौन रोके । भावार्थ – इस जीवका वर्तमान आयु पूर्ण हो जाय अर जो अन्य परलोकसंबंधी आयुकायादिक उदय आ जाय तदि परलोककूं गमन करते आत्माकं शरीरादिक पंचभूत कोऊ रोकनैं समर्थ नहीं हैं तातैं बहुत उत्साहसहित चार आराधनाका शरण ग्रहणकरि मरण करना श्रेष्ठ है ॥ ११ ॥
मृत्युकाले सतां दुःखं यद्भवेद्याधिसंभवं । देहमोहविनाशाय मन्ये शिवसुखाय च ॥
अर्थ – मृत्युका अवसरविषै जो पूर्वकर्मका उदयतें रोगादिक व्याधिकरि दुःख उत्पन्न होय है सो सत्पुauth decay मोहका नाशकेअर्थि है अर निर्वा
का सुख अर्थ है । भावार्थ, यो जीव जन्म लीयो जिस दिनतें देहसों तन्मय हुवा यामैं बसै है अर यामैं बसकूं ही बड़ा सुख माने है या देहकूं अपना निवास जाने है यासूं ममता लग रही है यामै बसने सिवाय अपना कहूं ठिकाना नहीं देखे है अब ऐसा देह मैं जो रोगादिककरि दुःख उपजै है जब सत्पुरुषनिकै बासूं मोह नष्ट हो जाय है अर साक्षात दुःखदाई अथिर