Book Title: Anitya Bhavna
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 137
________________ (२) सर्वत्र प्रबल है । प्रत्येक समाज स प का आदर उसकी तीक्ष्ण बुद्धि के कारण और सुशीले ५ शिसम्मान उस के शुद्ध अन्तःकरण वा सज्ञान के कार * न्तु भेद यह है कि बुद्धिमान् पुरुष की केवल होती है और सुशील पुरुष के आचरण को सब महण करना चाहते है। ___ बुद्धि-चमत्कार, धन और राज्य के विचार से जो लोग उच्च , पदवी पर पहुचे है वे साधारण मनुष्यजाति से अलग है और - पदवी एक दूसरे की अपेक्षा ही से उच्च कहला सक्ती है । मान जीवन का क्रम प्रत्येक दशामे ऐसा परिमित रक्खा गया है । बहुत थोड़े लोगो को इस उच्च पदवी तक पहुंचने का अ मिलता है परन्तु प्रत्येक पुरुष आदरसत्कारपूर्वक अपना जी रीति से व्यतीत कर सक्ता है । छोटे २ कामों में भी मनुए । लता विशुद्धता न्याय और श्रद्धालुता का बर्ताव कर सक्ता है । अपनी २ दशामें उसके अनुसार कृत्य करता रहता है। प्रत्येक काम का प्रारम्भ ठीक २ और भले प्रकार होना चाहिये, अर्थात् पहले सोच समझकर उस काम के करने के प्रकार, उपाय और फल जान लेने चाहिये और फिर तन मन धन से उस काम को करना चाहिये, क्योकि जो काम पहले ही से सोच समझकर किया जाता है उसी मे सिद्धि प्राप्त हो सक्ती है । जो मनुष्य अपने . विचारों के तत्त्व और महत्त्व पर ध्यान करता है और बुरे भावों को दूर करके अच्छे भाव वा विचार मन में भरता रहता है, अन्तमे वह यह जान लेगा कि जो फल वह भोगता है उस के विचार ही उन फलो के प्रारम्भ है और विचार ही उसके जीवनकी प्रत्येक घटना में बड़ा प्रभाव डालते है और इसी कारण शुद्ध और

Loading...

Page Navigation
1 ... 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155