Book Title: 125 150 350 Gathaona Stavano
Author(s): Danvijay
Publisher: Khambat Amarchand Premchand Jainshala

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Page 229
________________ ( ६३ ) || ढाल नवमी ॥ ॥ चैत्री पुनम अनुक्रमे - ए देशी. ।। कोइक सूत्रज आदरे, अर्थ न माने सार; जिनजी । आपमति अवलुं करे, भूला तेह गमार; जिनजी | झवणें मन राखीयें ॥ १ ॥ अर्थ - आठमी ढालने अंते सात नयें करी हिंसा फलावी ते नयें करी हिंसा तो तेवारे समजाय जेवारे सूत्रोनी टीका चूर्णि तथा भाष्य अने नियुक्ति मानीये तो समजाय पण केवल सूत्रनो मूलपाठ वांचवाथी न समजाय केमके जे सूत्र होय ते सूचना मात्र होय माटे जे अर्थने नथी मानता तेने शिक्षा देवा सारु नवमी ढालने आठमी ढाल साथै संबंध करी कहे छे जे कोइक के० जे ढुंढक लुंपाक नाम न देवा योग्य माटे कोइक एवं नाम कनुं ते सूत्र आदरे के० केवल सूत्रज माने छे इहां एवकार ते नृत्यादिक निषेध वाचक छे तथा अर्थ के ० टीका प्रमुख ते नथी मानता जिनजी के० हे रागद्वेषना जीतणहार हे वीतराग ते केवा छे आपमति के० स्वच्छंदे चालणहार छे पण आगमानुयायी चालता नथी अवलं करे के० जेट कार्य करे तेटलं अवलुं करे छे माटे ते मूर्ख गमार भ्रूला भमे छे कारणके सूत्र तो गणधरना रच्या अने अर्थ तो तीर्थंकरनो कह्यो यतः - " अत्यं भासह भरडा, सुतं गुंत्थति गणहरा निउणं । ” इति वचनात्. ते माटे अर्थनी ना कहेतां तीर्थकरनी आशातना करे छे माटे अवलुं करे छे माटे हे प्रभु तमारे वचने मन राखीयें ॥ १ ॥ प्रतिमा लोपे पापीआ, योग अने उपधान; जि० । वास न सिर धरे, मायावी अज्ञान ॥ जि० तुझ० २ ॥ अर्थ - वली ते लोक प्रतिमाने लोपेछे एटले प्रतिमा थापेछे पण केवा छे जे पापीआ के० पापी छे शामाटे जे श्रीसमवायांग तथा भगवती तथा ज्ञाता अने उपासक राजमश्रेणि जीवाभिगम जंबूद्वीपपन्नति प्रमुखने विषे साक्षात् प्रतिमा कही छे तेने लोपी उत्सूत्र बोले छे अने जे उत्सूत्र बोलवु ते श्रीभगवतीसूत्रमां पाप कही वोलान्युं छे ते माटे पापीया कह्या. ते प्रतिमानो अधिकार तो उपाध्यायजीयें हुंडीना स्तवन मध्ये कह्यो छे माटे इहां नयी को. वली योग वहेवा तेने लोपे छे कारण के श्रीनं दिसूत्र तथा अनुयोगद्वारसूत्र अने उत्तराध्ययन ठाणांग प्रमुख सूत्रने विषे योग पण कह्या छे ते पण उत्सूत्र वोली लोपे छे. उपलक्षणची श्रावकने सूत्र भणावे ते पण निशीथ तथा ठाणांग सुयगडांग व्यवहार उपासक ममुखमां ना कही छे ते वातो पण हुंडीना स्तवनमां आणी छे तेथी अहीं नयी कहेता माटे पापी छे. वली उपधान लोपे छे केमके श्रीमहानिशीथ प्रमुख सूत्रमां उपधान कह्या छे ते लोप्या माटे पापी

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