Book Title: 125 150 350 Gathaona Stavano
Author(s): Danvijay
Publisher: Khambat Amarchand Premchand Jainshala

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Page 264
________________ ( ९८ ) सो सो मुक्खाबाओ, रोगावस्थासु समणं व ॥ १||" इत्यादिक आगम बचन संभारी द्रव्य क्षेत्र काल भाव पुरुपादिक उचित जोड़ संयमने वृद्धिकारीज आचरे ते वीजा संविज्ञ गीतार्थ पण अंगीकार करे ते मार्ग कहिये अने वीजा वहु लोके आचर्यु ते तो असंविज्ञ अगीतार्य मांट अप्रमाण छे वली आचरणा प्रमाण करतां आगम तो अत्यंत प्रतिष्ठा पाये छे श्रीठाणांग मूत्रमां पांच प्रकारना व्यवहार प्ररुप्या छे. उक्तं च- "पंचविहे वबहारे पन्नते तंजहा - आगमREETरे सुयवहारे आणाववहारे धारणाबवहारे जीयववहारे" इहां जीत अने आचरणा ते एक अर्थ छे ते माटे आचरणा मानतां अत्यंतपणे आगम मान्युं तो आगम अविरोध जे आचरणा ते प्रमाणज छे ॥ ४ ॥ सूत्रे नयुं पण अन्यथा, जूर्दुज बहुगुण जाण । संविज्ञ विबुधे आचर्य, कांड़ दिजे हो कालादि प्रमाण || सा० ||५|| अर्थ- वली एज बात कहे ते मुत्रे भण्यं के० आगमने विषे कां छे तोपण अन्यथा के० हेरफेर करीने बहुगुण जाण के० तेमां घणो गुण जाणीने संविज्ञ गीतार्थ लोके जे आचरण तेवी केटली बातो दीसे छे पण ते शुं जाणी आचर्यु ते कडे छे जे कालादि प्रमाण के० दुःखमादि काल प्रमुखतुं प्रमाण विचारीने आचर्यु ॥ ५ ॥ कल्पनुं धर झोलिका, जाजने दवरक दान | तिथि पजूसणनी पालटी, जोजन विधि हो इत्यादि प्रमाण ॥ सा० ६ ॥ अर्थ - वली तेज देखाडे हे कल्पनुं धरयुं के० पूर्वे कल्प जे कपडो ते कारणे ओढता तथा गोचरी प्रमुखने विषे बालीने खंधे मूकी चालता ए आगमना आचार हतो अने हवे तां गोचरी प्रमुखने विषे पांगरीने जानुं तथा चोलपट्ट प्रमुख पण समजवा पूर्वे कुणीयें राखता हमणा कंदोरे राखियें यें तथा पूर्वे झोलिका के० झांली मुठीयें झाला ग्रंथी कुणीयें कडी बांधता अने हमणां हाथमां झालिये छे उपलक्षणथी उपग्रहक कटासं संथारीओ दंडासणादिक लेवां तथा तरपणी प्रमुखने विषे दोरा लेवा एम सीकी दोरानो झोलीना आधार विशेष इत्यादिक वली पात्रे लेप देवा तथा पजूसणनी तिथि जे पांचम तेनी चोथ करी उपलक्षणथी चोमासा पुनमनां टाली चउदगना करयां तथा भोजनविधि प्रमुख शास्त्रोक्त बिना पण आचरित प्रमाण के भोजनविधि ते मांडलीयें बेसवुं वेंची देवं इत्यादिक तथा च व्यवहार भाये - "सत्यपरिना छक्काय संयमो पिंड उत्तरज्झाए । रुक्खे 'बस हे गोवे, जोहे सोही य क्खरिणी ॥१॥" एनो लेगथी अर्थ करे छे जे पूर्वे शास्त्रपरिज्ञा अध्ययन सूत्रार्थ भणे के॰ साधुने उठावणा करता हता अने हमणां दशवैकालिकनुं चोथुं अध्ययन भणे थके ठाणा थाय छे तथा पूर्वे पिंडेपणाध्ययन भण्या पछी उत्तराध्ययन भणावता हमणां वगर भणे पण भणावि छैये तिहां दृष्टांत कहे छे पूर्वे कल्पवृक्ष हता हमणां आंबा प्रमुखे काम चालेछे पूर्व अतुल्य बल धवल हृपभ हता हमणां धुसरेंज काम चाले छे पूर्वै गोप जे करपणी

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