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प्रद्युम्न कुमार
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माता द्वारा किए गए, प्रस्ताव, अपने व्यवहार और फिर माता के दुष्टता पूर्ण विलाप तथा असत्य व नीचता पूर्ण आरोप पर विचार मग्न था, वह चिन्तित था, भाईयो के प्रस्ताव को स्वीकार न कर रहा था, राजकुमार हठ पूर्वक उसे ले जाना चाहते थे । इस अत्त्याग्रह के पीछे कुमार को कोई रहस्य प्रतीत हुआ । विद्या द्वारा उसने समझ लिया कि राजकुमार उसे धोखा देकर अपनी पाप युक्त इच्छा की पूर्ति करना चाहते है । अत अपने बल तथा अपनी विद्याओं का चमत्कार दिखाने के लिए वह उनके साथ चलने को राजी हो गया । ___ बावडी पर आकर सभी राजकुमारों ने प्रद्युम्न कुमार से कहा कि वृक्ष पर चढ कर बावडी मे कूदो । प्रद्युम्नकुमार उनकी योजना समझ गया । वह वृक्ष से कूद पडा और बावडी मे विद्या बल से जाकर लुप्त हो गया। उसे दबाने के लिए सभी राजकुमार ऊपर से कूदे । पर प्रद्युम्नकुमार ने सभी को दबा लिया बाहर निकल कर और बावडी को एक शिला से बन्द कर दिया। परन्तु एक राजकुमार किसी प्रकार कुमार के चगुल से बच गया। प्रद्युम्नकुमार वहा से चला आया,
उधर उस राजकुमार ने नृप को सारी बात कह सुनाई । नृप को बहुत क्रोध आया । क्योकि पासा पलट गया था और योजना के जाल में स्वय उसी के पुत्र फस गए थे, क द्ध होकर उस ने स्वय ही प्रद्युम्नकुमार का सहार करने का बीड़ा उठाया, पास ही में रानी थी, उसे देख कर नृप को प्रनप्ति और रोहिणी विद्याओ की याद आई । उस ने तुरन्त कहा-"रानी | उस मूर्ख का सिर कुचलने के लिए तुम अपनी विद्याए तो दो।"
रानी घबरा गई, वह बोली-“विद्याए तो वही धूर्त ले गया।" "प्रयोग की रीति विधि किस ने बताई ?" नृप ने प्रश्न किया।
रानी ने सिर झुका लिया । नप अर्थ समझ गया। उस ने रोषपूर्ण शब्दों में पूछा, "इस से पहले तो तुम ने उसे विद्याए नहीं दी थीं, इस अवसर पर जब कि उस ने तुम्हारी लाज पर डाका डालना चाहा, तुम्हें किस ने विवश किया था कि तुम अपनी विद्याए भी उसी को प्रदान कर दो
"मैं उस की बातों में आ गई ।" लज्जित होकर रानी बोली। परन्नु नृप को रानी की बात जची नहीं। वह सोचता रहा, इस