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शाम्ब कुमार
NAAMANNAVANA
अपने आप पर अमला रही थी। पर प्रत्यक्ष मे क्रोध प्रगट न करना ही उसने श्रेयष्कर समझा।
शाम्बकमार ने अपने चरित्र को पवित्र किया, प्रेम की धारा बहा कर उस ने सभी के मन में से अपने प्रति घृणा समाप्त कर दी । सेवाभाव और दयाभाव से वह सभी का प्रिय हो गया। उसका विवाह हेमांगद नृप की कन्या सुहिरनी से कर दिया गया। सुभानु, शाम्बकमार, प्रद्युम्न कुमार आदि सभी आनन्द से जीवन व्यतीत करने
लगे।