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भंगसमुत्कीर्तन
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आनुपूर्वी
अन्त के बीच मध्य उपचरित होता है। यह इसका आदि आनुपूर्वीद्रव्यबहुत्वज्ञापनार्थं स्थानबहुज्ञापनार्थ है, यह इसका मध्य है, यह इसका अन्त है- इस प्रकार चादावानुपूर्व्या उपन्यासः । ततोऽल्पतरद्रव्यत्वादवक्तव्यजहां परस्पर सापेक्ष कथन होता है, वहां आनुपूर्वी घटित कस्येति ।
(अनुहावृ पृ ३२,३३) होती है। अत: आनुपूर्वी के लिए कम से कम तीन अनानुपूर्वी द्रव्य एक परमाण से. अवक्तव्य द्रव्य दो प्रदेश (तीन अवयव) अपेक्षित हैं। दो अवयवों में आनु- परमाणुओं से तथा आनुपूर्वी द्रव्य तीन, चार आदि पूर्वी अथवा क्रमयोजना संभव नहीं है।
परमाणुओं से निष्पन्न होते हैं। अत: क्रम की दृष्टि से अनानुपूर्वी
पहले अनानुपूर्वी, फिर अवक्तव्य और फिर आनुपूर्वी
होती है। किन्तु विषय की बहुलता और अल्पता के यः पूनरसंसक्तं रूपं केनचिद्वस्त्वन्तरेण शुद्ध एव आधार पर यह क्रम-भेद हुआ है। आनुपूर्वी द्रव्य परमाणुस्तस्य द्रव्यतः अनवयवत्वात् आदिमध्यावसान- अनानुपर्वी और अवक्तव्य द्रव्यों से अधिक हैं। अनानत्वाभावात् अनानुपूर्वीत्वम् । (अनुहावृ पृ ३२) पूर्वी द्रव्य अल्प और अवक्तव्य द्रव्य अल्पतर हैं । एक परमाणु-पुद्गल में आनुपूर्वी नहीं होती । आनु
६. भंगसमुत्कीर्तन पूर्वी वहां होती है, जहां कम से कम तीन अवयव होंआदि, मध्य और अंत। परमाणु निरवयव है, एक है, नेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया ---१. अत्थि किसी अन्य वस्तु से असंबद्ध है।
आणुपुव्वी २ अत्थि अणाणुपुवी ३. अस्थि अवत्तब्वए
४. अत्थि आणुपुव्वीओ ५. अस्थि अणाणुपुबीओ ६. अवक्तव्य
अत्थि अवत्तव्वयाइं। यस्तु द्विप्रदेशिकः स्कन्धस्तस्याप्याद्यन्तव्यपदेशः। परस्परापेक्षयाऽस्तीतिकृत्वा अनानुपूर्वीत्वमशक्यं प्रतिपत्तुं,
अहवा १. अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य ७ अथानुपूर्वीत्वं प्रसक्तं तदपि चावधिभूतवस्तुरूपस्यासंभ
अहवा २. अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वीओ य ८
अहवा ३. अत्थि आणुपुव्वीओ य अणाणपुव्वी य ९ वात् अपरिपूर्णत्वात् न शक्यते वक्तुमिति उभाभ्यामवक्तव्यत्वात् अवक्तव्यकमुच्यते, यस्मान्मध्ये सति मुख्य
अहवा ४. अस्थि आणुपुव्वीओ य अणाणपूवीओ य आदिर्लभ्यते मुख्यश्चान्तः परस्परासंकरेण, तदत्र मध्यमेव
१०.। नास्तीति कृत्वा कस्यादिः कस्य वान्त इति कृत्वा व्यपदेशा
अहवा १. अत्थि आणुपुवी य अवत्तव्वए य ११ भावात् स्फुटमवक्तव्यकम् । (अनुहावृ पृ ३२)
अहवा २ अत्थि आणपूव्वी य अवत्तव्वयाइं च १२ द्विप्रदेशिक द्रव्य 'अवक्तव्य' कहलाता है। इस द्रव्य
अहवा ३. अत्थि आणपुव्वीओ य अवत्तव्वए य १३ के दो प्रदेशों में आदि, अन्त का व्यवहार सापेक्ष है।
अहवा ४. अत्थि आणपुव्वीओ य अवत्तव्वयाई च १४ मध्यवर्ती द्रव्य की अपेक्षा आदि, अन्त मुख्य होते हैं।
अहवा १. अत्थि अणाणुपुवी य अवत्तव्वए य १५ मध्यभाग ही नहीं होगा तो आदि और अन्त का आधार
अहबा २. अत्थि अणाण पुव्वी य अंवत्तव्बयाई च १६ क्या होगा? दो प्रदेशों में आनुपूर्वी और अनानुपूर्वी
अहवा ३. अत्थि अणाणपुव्वीओ य अवत्तव्वए य १७ दोनों घटित नहीं होती। इसलिए इन दोनों की अपेक्षा
अहवा ४. अस्थि अणाणपुव्वीओ य अवत्तव्वयाई च १८ । वह अवक्तव्य है।
अहवा १. अत्थि आणुपुत्वी य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए
य १९ अहवा २. अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य आनुपूर्वी आदि का क्रमभेद
अवत्तव्वयाइं च २० अहवा ३. अत्थि आणुपुब्बी य द्रव्यवृद्ध्या पूर्वानुपूर्वीक्रममाश्रित्य प्रथममनानुपूर्वी अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य २१ अहवा ४. अत्थि ततोऽवक्तव्यकं ततश्चाऽऽनुपूर्वीत्येवं निर्देशो युज्यते, आणपूव्वी य अणाणपूवीओ य अवत्तव्वयाइं च २२ पश्चानुपूर्वीक्रमाश्रयेण तु व्यत्ययेन युक्तः, तत् कथं क्रम- अहवा ५. अत्थि आणु पुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य द्वयमुल्लङ्घ्यान्यथा निर्देशः कृत: ?
अवत्तव्वए य २३ अहवा ६. अस्थि आणुपुवीओ य __..."त्यणुकचतुरणुकादीन्यानुपूर्वीद्रव्याण्यनानुपूर्व्य- अणाणपुवी य अवत्तव्वयाइं च २४ अहवा ७. अस्थि वक्तव्यकद्रव्येभ्यो बहूनि तेभ्योऽनानुपूर्वीद्रव्याण्यल्पानि आणुपुवीओ य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य २५ तेभ्योऽप्यवक्तव्यकद्रव्याण्यल्पतराणि। (अनुमवृ प ४९) अहवा ८. अत्थि आणुपुव्वीओ य अणाणुपुवीओ य
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