Book Title: Bhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Author(s): Vimalprajna, Siddhpragna
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 780
________________ कथा-संकेत ७३५ परिशिष्ट १ विषय कथा-संकेत संदर्भ नन्दी ३८।११-१३. म १६६, १६७ । आवनि ९४९-९५१. च १ पृ ५५७-५६८. हा १८५-२९२. म ५२७-५३४ पारिणामिकी बुद्धि १ अभयकुमार २ श्रेष्ठी ३ कुमार ४ देवी ५ उदितोदित राजा ६ साधु ७ नन्दीषेण ८ धनदत्त ९ श्रावक १० मंत्री ११ क्षपक १२ अमात्य १३ चाणक्य १४ स्थूलभद्र १५ नासिकपुर-सुंदरीनन्द १६ वज्र १७ चरण से हत १८ कृत्रिम आंवला १९ मणि २० सांप २१ गेंडा २२ स्तूप उखाड़ना भाषा विवेक ब्राह्मण और साधु मिक्षाचर्या वत्स और वधू भिक्षा हेतु दूर गमन कुब्जबदरी का दृष्टांत मंत्र चूर्ण १ मंत्रित चावल, २ चर्णकृत भिक्षा ३ विषभावित भिक्षा मनुष्य जन्म की दुर्लभता १ चोल्लग २. पाशक ३ धान्य ४ द्यूत ५ रत्न ६ स्वप्न ७ चक्र ८ चर्म ९ युग और १० परमाणु का दृष्टांत मनोनिग्रह राजपुत्र मुख्य और गौण रत्न, स्वर्ण, चांदी और लोहे की अ १९०. जि २८० अ८. जि १२ ओनि २३९. भा १४२, १४३ ओनि ५९७-६०३ आवनि ८३२. चू १ पृ ४४६-४५१. हा २२८-२३०. म ४५१-४५४ । उनि १६०. शा १४५-१५०. सु ५६-६७ अ ४४. जि ८४. हा ९४ ओभा ८,९ खाने मुधादायी-मुधाजीवी १ परिव्राजक भक्त २ क्षुल्लक अ १२४, १२५. जि १९०, १९१. हा १८१,१८२ आवचू १ पृ ३५५-३६६. हा १८१-१८३. म ३५५-३५९ मृत्यु के उपक्रम १ राग २ स्नेह ३ भय ४ आहार ५ स्पर्श मृवावाद मृषोपदेश यथाप्रवृत्तिकरण तरुणी वणिक पत्नी सोमिल विप्र ब्राह्मण का अति आहार ब्रह्मदत्त चक्री का स्त्रीरत्न श्रावक चोर और परिव्राजक . पथिक और चोर का दृष्टांत जि २१८ . आवचू २ पृ २८६ विभा, १२११-१२१४ । आवचू १ ९९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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