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श्री कल्पसूत्र हिन्दी
छट्टा
व्याख्यान
अनुवाद
118511
- मनुष्य और असुर सहित लोक के पर्यायों के जानने तथा देखनेवाले हुए, तथा सर्व लोक में रहे हुए सर्व प्राणियों -
की गति, आगति, उत्पत्ति, तथा सर्व जीवोंद्वारा मन से चिन्तन किया, वचन से बोला हुआ और काया से आचरण ● किया हुआ, भोजन फलादि, चोरी आदि कार्य, मैथुनसेवनादि गुप्त कार्य, तथा प्रगट कार्य, सो सब जीवों का सब
कुछ जानते हुए भगवान विचरते हैं । तीन लोक के सर्व पदार्थ हाथ में लिए हुए आंवले के फल के समान देखनेवाले
होने के कारण उनके सामने कोई ऐसी वस्तु या भाव नहीं कि जिसे वे न जानते हों । कम से कम करोड देव पर उनकी सेवामें रहने से जो एकान्त के वास को कभी प्राप्त नहीं होते ऐसे प्रभु, मन, वचन, काया के योगों में
यथायोग्य तथा प्रवर्तमान संसार के समस्त प्राणियों के सर्व भावों को जानते हुए और देखते हुए विचरते हैं । तथा सर्व अजीब-धर्मास्तिकाय आदि के भी सर्व पर्यायों को प्रभु जानते हैं । गणधर देवों की दीक्षा
उस समय एकत्रित हुए देव मनुष्य असुरों के प्रति पत्थरवाली जमीन पर पड़े हुए वर्षात के समान क्षण वार निष्फल देशना देकर प्रभु अपापापुरी के महसेन नामक उद्यान मे पधारे । वहां यज्ञ करते हुए सोमिल नामा ४. ब्राह्मण के घर पर बहुत से ब्राह्मण एकत्रित हुए थे । उनमें इंद्रभूति, अग्निभूति और वायुभूति ये तीन सगे भाई
थे । वे चौदह विद्या में प्रवीण थे । अनुक्रम से उनमें पहले को जीव का, दूसरे को कर्म का तथा तीसरे को
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