Book Title: Kalpasutra
Author(s): Dipak Jyoti Jain Sangh
Publisher: Dipak Jyoti Jain Sangh

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Page 310
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabalirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyarmandir 5 में जमीन काष्ठादि के अन्दर पैदा होती है और जहां पैदा होती है वहा वह उसी द्रव्य के वर्ण-रंगवाली होती है । यह प्रसिद्ध है । अब और कौन से सूक्ष्म हैं ? ऐसा शिष्य के पूछने पर गुरू कहते हैं कि अन्य सूक्ष्म पांच प्रकार की होती है जो इस तरह है काला, नीला, लाल, पीला और सफेद कणिका याने नखिका-नाखूनों के दोनों तरफ * की चमड़ी। उसके समान वामाला ही दूसरा सूक्ष्म कहा है जो छद्मस्थ साधु साधियों की जानने, देखने और *परिहरने चाहिये। अब सूक्ष्म हरित कहते हैं, सूक्ष्म हरित पांच प्रकार की कही है, काली, लीली, लाल, पीली और सफेद । सूच्म हरित यह है कि जो पृथ्वी समान वर्णवाली प्रसिद्ध है । जो साधु-साध्वियों को जाननी, देखनी और . परिहरनी चाहिये । यह सूक्ष्म हरित जानना चाहिये । वह अल्प संघयण-कम शरीर शक्ति वाली होती है इस कारण वह थोडे ही समय में नष्ट हो जाती है । अब वे सूक्ष्म पुष्प कहते हैं-सूक्ष्म पुष्प पांच प्रकार के होते हैं, काले से लेकर सफेद वर्ण तक। वृक्ष के समान वर्ण वाले वे सूक्ष्म पुष्प प्रसिद्ध ही हैं जो छद्मस्थ साधु साच्चियों की जानने, देखने और परिहर ने चाहिये । ये सूक्ष्म पुष्प समझना | अब शिष्य के - 5 पूछने पर सूक्ष्म अंडे बतलाते हैं । सूक्ष्म अंडे पांच प्रकार के होते हैं-मधुमक्खी खटमल आदि के अंडे | वे उदंशांड, लूता-किरली के अंडे वे उत्कलिकांड, पिपीलि का चीटियों के अंडे वे पिपीलिकांडा, हलिका-छपकी के अंडे वे हलिकांड और हल्लोहविया जो जुदी जुदी भाषाओं में अहिलोडी, सरटी और #काकिडी कहलाती है उसके अंडे वे हल्लोहलिकांड हैं । जो साधु साध्वियों को जानने, देखने 040060 0 For Private and Personal Use Only

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