Book Title: Kalpasutra
Author(s): Dipak Jyoti Jain Sangh
Publisher: Dipak Jyoti Jain Sangh

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Page 319
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नौवा श्री कल्पसूत्र हिन्दी व्याख्यान अनुवाद 1115611 5है । एक और ब्राह्मण का दृष्टान्त दिया है-खेर नगरवासी रूद्र नामक एक ब्राह्मण वर्षकाल में खेत बोने के लिए * Lg हल लेकर खेत में गया । हल चलाते हुए उसका गलिया बैल बैठ गया । हांकनेवाले साटे या चाबुक से मारने पीटने पर जब वह न उठा तब तीन क्यारों के मट्टी के डलों से मारते मारते उस मट्टी के डलों से उसका मुख ढक गया और श्वास रूक जाने से वह मर गया । फिर वह ब्राह्मण पश्चाताप करता हुआ महास्थान पर जा कर अपना • वृत्तान्त कहने लगा । दूसरे ब्राह्मणों ने पूछा कि तू अब भी शान्त हुआ या नहीं ? उसने कहा कि मुझे अभी तक भी शान्ति नहीं हुई । तब ब्राह्मणों ने उसे अपनी जाति से बाहिर कर दिया । इसी प्रकार वार्षिक पर्व में कोष उपशान्त न होने के कारण जिस साधु साध्वी ने परस्पर क्षमापना न की हो उसे संघ बाहिर करना योग्य है । उपशान्त मे उपस्थित हुआ हो उसे मूल प्रायश्चित देना उचित है 1571 चोविसवां चातुर्मास रहे साधु-साध्वी से यदि पर्युषणा के दिन ऊंचे शब्दवाला तथा कटुतापूर्ण-जकार मकार आदि रूप कलह होवे तो छोटा बड़े को खमावे । यदि बड़े ने अपराध किया हो तथापि व्यवहार से छोटा बड़े को खमावे । यदि धर्म न परिणमने के कारण छोटा बड़े को न खमावे तो क्या करना ? सो कहते हैं- बड़ा भी छोटे को खमावे, आप खमे और दूसरे को खमावे, आप उपशान्त होवे और दूसरों को उपशान्त करे । सुमति, पूर्वक, रागद्वेष के अभावपूर्वक सूत्र और अर्थ सम्बन्धी संपृच्छना या समाधि प्रश्न विशेष होने चाहिये। जिस के साथ कटुतापूर्ण कलह हुआ हो उसके साथ निर्मल मन से शान्ति होवे ऐसी अनेक शास्त्रों संबन्धी N000043 For Private and Personal Use Only

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