Book Title: Kalpasutra
Author(s): Dipak Jyoti Jain Sangh
Publisher: Dipak Jyoti Jain Sangh

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Page 286
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 4050040540500400 www.kobatirth.org कालिक के गौतम गोत्रीय स्थविर आर्य संपालित और स्थविर आर्यभद्र नामक दो शिष्य थे । गौतम गोत्रीय इन दो स्थविरों के गौतम स्थविर आर्यवृद्ध शिष्य थे । गौतम गोत्रीय स्थविर आर्यवृद्ध के गौतम गोत्रीय स्थविर आर्य संघपालिक शिष्य थे । गौतम गोत्रीय स्थविर आर्यसंघपालित के काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्यहस्ती शिष्य थे । काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्यहस्ती के सुव्रत गोत्रीय स्थविर आर्यधर्म शिष्य थे । सुव्रत गोत्रीय स्थविर आर्यधर्म के काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्यसिंह शिष्य थे। काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्यसिंह के काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्यधर्म शिष्य थे । काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्यधर्म के स्थविर आर्यसंडिल शिष्य थे । (अब यहां से 'वन्दामि फग्गुमित्तं' इत्यादि जो चौदह गाथायें आती हैं उनका अर्थ बहुतसा ऊपर आ चुका है तथापि उसे पद्य में संग्रहित की हुई होने से उनका अर्थ भी फिर से किया है, अतः इससे पुनरुक्ति दोष न समझना चाहिये । गौतम गोत्रीय फल्गुमित्र को वासिष्ट गोत्रीय धनगिरि को, कुच्छ गोत्रीय शिवभूति को और कौशिक गोत्रीय दुर्जय कृष्ण को वन्दन करता हूं। उन्हें मस्तक से नमन कर काश्यप गोत्रीय भद्र को, काश्यप गोत्रीय नक्षत्र को और काश्यप गोत्रीय दक्ष को नमस्कार करता हूं । गौतम गोत्रीय आर्य नाग को, वासिष्ट गोत्रीय आर्यजेहिल को, माढर गोत्रीय विष्णु को और गौतम गोत्रीय कालिक को वन्दन करता हूं । गौतम गोत्रीय कुमार संपालित को तथा आर्यभद्र को नमता हूं एवं गौतम गोत्रीय स्थविर आर्यवृद्ध को वन्दन करता हूं। उन्हें मस्तक से नमन कर स्थिर सत्व, चारित्र और ज्ञान से संपन्न काश्यप गोत्रीय स्थविर संघ For Private and Personal Use Only 0504125040540 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir

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