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(३७) यो, नारी न धरे नेह ॥ १० ॥ ५५ ॥ अाठमे द शके मोसलो, खुलीया सदु दांत ॥ कर कंपावे शि र धुणे, करे फोकट वात ॥ न ॥ ५५ ॥ नवमे दशके प्राणियो, तन शक्ति न कांय ॥ साले वचन सद तणां, दिन फूरतां जान ॥ १० ॥ ५६ ॥ खाट पड्यो खू खू करे सुगाली देह । हाल दुकम हाले नही, दिये परिजन तह ॥ २० ॥ ५७ ॥ ख गले वे पड मिले, पडे मुहडे लाल ॥ वेटा वे टी ने वर्, न करे संजाल ॥ १० ॥ ५७ ॥ दशभे दशके आवियो, तव पूरी प्राय ॥ पुण्य पाप फल नो गवी, प्राणी परजव जाय । न० ॥ एए ॥ दश ह टांतें दोहिलो, सही नरनव सार ॥ श्रीजिनधर्म स माचरे, ते पामे नवपार ॥ ८ ॥ ६० ॥ तरुणपणे जे तप तपे, पाले निर्मल शील ॥ ते संसार तरी करी, लहे अविचल लील ॥ न० ॥ ६१ ॥ कोडी रतन कवडी सटे. कां गमें रे गमार ॥ धर्म विना ए जीवने, नही को आधार ॥ न० ॥ ६२ ॥ काया माया कारिमी, कारिमो परिवार ॥ तन धन जोबन कारिमो, साचो धर्म संसार ॥ १० ॥ ६३ ॥ चनदे राज प्रमाण ए, लोक महंत ॥ जनम मरण करी फरसीयो, जीव वार अनंत ॥ १० ॥ ६४॥आप स बारथीयो सदु, नही केहनो कोय ॥ निज स्वारथ वि ण पूगतां, सुत पण रिपु होय ॥ १० ॥ ६५ ॥ ज रा न आवे जिहां लगें, जिहां लगें सबल शरीर ॥ध