Book Title: Jain Prabodh Pustak 01
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(७१०) करवा, एटले जेम चडता कख्या तेमज वली पूर्वली रीतें चौदथी पाबा वलतां पण करवा. एम करतां बेहडे एक नपवास आवे.श्हा एकथी चढतां अने चौदथी पा बा वलता एवीरीतें नपवास करतां एक परिपाटीयें ब दायांक चार चार वखत यावे .मात्र शोलनोक वे वखत यावे,तथा पन्नरनो यांक त्रण वखत आवे . बझा मली ४ए दिवस उपवासना थाय. तथा ६१ दिवस पारणाना थाय, सर्व मली ५५ दिवसें एक लता थाय. एवी चार लता करतां ए तप वर्ष बेमासने बार दिवसें पूर्ण थाय.
१० मुक्तावलीनामा तप कहे :-एक नपवास.करी पारपुं करीयें,पढीबे उपवास करी पार' करीयें, वली एक नपवास करी पारपुं करीयें,पबीत्रण उपवास क री पारपुं करीयें, पढी वली एक उपवास करीयें, पड़ी चार उपवास,पबी वली एक उपवास,पली पांच उपवा स,वली एक उपवास,एम चढतां चढताएकेकने आंत रेयावत शोल उपवास सूधी करिये.पी शोल उपवास नुं पारj करी पाबा फरीयें, ते यावीरीतें के, शोल उपवास करी पारj करीयें, वली एक उपवासने पा रj करीयें, वली पन्नर उपवास, वली एक उपवास फरी चौद उपवास, फरी एक उपवास, फरी तेर न पवास, फरी एक नपवास, बार उपवास, वली एक उपवास, एवी रीतें पाबा आवतां हेडे एक उपवा सने पारणुं करीयें, एम एक उपवासने अांतरें वध

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