Book Title: Jain Prabodh Pustak 01
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 805
________________ (७३५) एक उपवास, पबीबे नपवास, वली एक, पनी बे, वली बे, पबी एक, वली एक, पडी बे, एम बार उप वास अने आठ पारणां मली वीश दिवसें ए तप पूर्ण थाय, जिनपूजा पूर्वक तप करवं. मोदक वीश ढोक वा. एवीरीने त्रिपर्यतादिक अनेक प्रकारे घन तप करवं. ते सर्वयंत्रोनी स्थापना' जोड्ने करवां. ७४ श्रेणि तपः-एक नपवास करीन पारएं कर बुं. पनी वे उपवास करीने पारणुं करबु. तेवारें त्रण. उपवास अने वे पारणां प्रथम श्रेणियें थाय. वीजी श्रेणियें एक वे,त्रण, त्रीजी श्रेणियें एक,बे,त्रण,चार, चोथी श्रेणियें एक,वे,त्रण, चार,पांच, पांचमी श्रेणियें एक, वे, त्रण, चार, पांच, ब. बही श्रेणिये एक, वे, त्रण, चार, पांच, ब. सात. एवं ब श्रेणीना नपवास ७३ अने पारणां २७ मली ११० दिवसें तप पूर्ण यया पनी उजमणे रूपानुं सात खूणुं धवलगृह करवू अने सुवर्णमय निसरणी करवी. ७५ वर्ग तपः- एक, वे, वे, एक, वे, एक, एक, वे. ए बार उपवासें प्रथम ली जाणवी. पर। ५,१,१,२,१,२,२,१, ए बीजी पंक्ति जाणवी. पनी २,१,१,२,१,२,२,१,ए त्रीजी पंक्ति जागवी. पड़ी १,२,२,१,२,१,१,२, ए चोथी पंक्ति जाणवी. पड़ी २,१,१,२,१,२,२,१, ए पांचमी पंक्ति जाणवी. पनी १,२,२,१,२,१,१,२, ए बही पंक्ति जाणवी. पली १,२,२,१,२,१,१,२, ए सातमी पंक्ति जागवी. पडी

Loading...

Page Navigation
1 ... 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827