Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 290
________________ ( २१७ ) म. सिंघराज प्रमुख सकल कुटुंब युतेन श्री शांतिनाथ विवं कारितं । श्री श्रीतपागच्छ युगप्रधान विजय दान सूरि पह श्री हीर विजय सूरिभि प्रतिष्ठितं । वैशाख सुदि दशमी दिन ॥ V ( 928 ) संवत् १६३४ वर्षे माघ सु० ६ उप० ज्ञाती गादहीया गोत्रे सा० कोहा मा. रसनादे पु. आका मा० यस्मीदे पु० हराजावड़ मेर-दि साहि तिथी सति मतं श्री वास पूज्य विवं कारि० श्री वपु श्री कुकुदाचार्य संताने प्र० देव गुप्त सूरिभिः । श्री। ( 929 ) सं० १४२२ श्री सर प्रभु सूरि उपदेशेन प्रतिष्ठितं । V ( 930 ) संवत् १६४४ वर्षे फागुण वदि १५ उपकेश ज्ञातीय वाहड़ा गोत्रे..... संभवनाथ ---- लध गछ लघ श्री श्री होर विजर सूरि । नगर गांव ( मारवाड) - ( 931 ) संवत् १५१६ वर्षे पौसष वदि ११ दिने गुरुवारे श्री राउड राज्ये श्री सोभ्र बंम पुत्र श्री श्री वयं रसल्ल नरेस्वरेण बांधव सामंत सल्हा पुत्र हरुव मुख सपरिवारेण तेज बाई भरतार भाटी महिप पुण्यार्थं गोबिंदराजेन श्री श्री महावीर चैत्ये वा० मोदराज गणि उपदेशेन पटहो यांधव मं० धारा पुत्र थाथल मंडाही पुत्र नाल्हा मं० जाणा मं० दे० क्रट प्रमुख श्री संघ समु म पटही वाद्यमानो चिरं जयातः शुभं भवतु नारदेन उषतं ।

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