Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 311
________________ ( २६९) नोदिया (सिरोही) ___(962 ) संवत् ११३० वैसाष सुदि १३ नंदियक चैत्य साले वापी निर्मापिसा सिव गणैः । ( 983 ) ॐ ॥ ससिणि सील बंता ध। सद्धाव भक्ति संयुता॥ जिन गृहे सैल स्तं मा द्वौ। मंडप मूले थापिताः ॥ १॥ श्री महावीर स्वामि जी के मन्दिर के स्तंभ पर । ( 964 ) ओं ॥ संवत् १२०१ भादवा सुदि १० सोम दिने निवा भार्या वरा पुत्र मोतिणि या स्तंभ का०२ (965 ) श्री विजयते ॥ संवत् १२९८ वर्षे पोस सुदि ३ राठउड पून सीह सुत रा० कमण श्रेयो) पुत्र भीमेण स्तमो कारितः ॥ श्री --- - सूरि श्री - -। कोटरा (सिरोही) J( 96g ) ॥ पूर्व डीडिला ग्राम मल नायकः श्री महावीरः संवत् १२०८ वर्षे पिप्पल गच्छीय श्री विजय सिंह सूरिमिः प्रतिष्ठितः पश्चात वीर पल्या प्रा. साह सहदेव कारिते प्रसादे पिप्पालचार्य श्री वीर प्रश्न सूरिभिः स्थापितः। संवत् १४६५ वर्षे ।

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