Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 334
________________ संवत् १६३४ १६३८ ૪૪ १६४७ १६११ १÷४३ १६५२ १६५३ १६६७ १६८६ १६५३ १६५८ १६६६ १६६८ १६७४ १६७७ १६८३ १६८४ १६८५ १६८६ १६८७ १६६४ १७०० १७०३ नाम हीर विजय सू० 33 23 19 विजयसेन सू० शि० धर्मविजयगणि विजयसेन सू० ود " د. विनयसुन्दर गणि कल्याणविजय गणि सहजसा० जयसा० विजयसेन सू० विजयदेव सू विजयदेव सू० دو " वा० लब्धिसा० उदयसा० ) ' 39 دو 3: 39 34 25 " } लेखांक } [ - ] १२४१६८१ १६८४ ६०५ २०६३० | १६८६ १९३ २२३०५०४ ७१४ १६८७ १६८८ संवत् १६६३ १६६७ ६८० १७०१ १८२ १७६२ १२० | १७६५ ८२६।८२७ | १७११ ७५२ ११३ | १८०१ १८२८ १८४५ १८७३ ८१४ ७२५ ५८११८५३ १६०३ ४५२७५० (૧૪૬ ७५४१७८४ ५४२२९०५६०६ ६०८ ६६४ १५६६ ७८३/८२५१८२६८३७ १५७१ ५४३७५६ १५९१ १३०१६६६६६७० ७७२।८२८ ५९४ ९५०५ नाम जयसागर गणि विजयसिंह सू० " ور 59 " +3 99 चन्द्रकुशल गणि विजयरत्न सूर " जयविजय गणि सुमतिचन्द्र गणि वीरविजय सू० विजयजिनेंद्र सू० } पं० मोहनविजय पं० रूपविजय गणि ज छ [ सपा ] इन्द्रनन्दिनू० प्रमोदसुन्दर सू० सौभाग्यनन्दि सू० सावकीय गच्छ । शांति सू० लेखांक ६०४११ ἐθε ८३८/८५६ ४५५ ५८२ ६५६ १९४ २०५४५०६ ३३४ ૬૪૩ ३०० ૪ १३६ ३१ ६४५ ७४४ ३५५ ८४६ ८५०१८५१ ५४ ८८७

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