Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 317
________________ ( २०१ ) परिवार सहितेन श्री श्रीकर्पटहेटके स्वयं पार्श्वनाथ चैत्ये श्रा पार्श्वनाथ ... ... ... ... ... ... ... ... .. सिह सूरि पट्टालंकार श्री जिन चंद्र सूर्गिः सुप्रसन्नो मवत् । अलबर । मलवर राज्यकी राजधानी यह छोटा और सुन्दर शहर है। (982 ) सं० १२५५ माघ सुदि ६ ....। । 953 ) सं० १२९४ ये० ३०५ गुरौ श्री... वंशे पिता मही प्याऊपिउ पितृ सोला श्रेयो) पत्र नाग दिन - न मा. जागत्र मात एतेन सहितेन श्री पार्श्वनायो विवं कारितः । प्रतिष्ठित श्री पार्श्वनदेव सूरिमिः। (584) सं० १३०३ वर्ष माघ सुदि. - सोमे देवानं हित गच्छे अं. १मालामार्या सिंगार देवो पुण्यार्य सुत हरिपालादिमिः श्री शांतिनाथ प्रिंयकारित प्रतिष्ठित श्री सिंहदत्त सूरिभिः । ( 93 ) स० १३२१ वैशाख सुदि ३ यरुपति कुलेन साणे छोता ..... ( 986 ) म. १३७८ जेष्ट बदि ५ गुरु श्री उपकेश गच्छे लिङ्ग - । गोत्रे ... सा. खिंत्र घर सिर पाल मार्या पुत्र कील्हा मुणि चंद्र लाहड वाहनादि सहिताभ्यां कुटुम्ब अयोयं भी शांतिनाय बिंब का. प्रति श्री कक सूरिमिः।

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