Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 327
________________ लेखांक | ज्ञाति-गोत्र लेखांक १७१, १७२ / परज गोत्र ( ज्ञाति, वंशादि उल्लेख नहीं है। ज्ञाति-गोत्र मुंडतोड रोहदिया वायडा वार्तिदीपा सयला माल्हण मोट २१६ उजावल ८८० उसभ ओष्ठ ५४३, ७६, ८६३ ५५५ ५४०,८८६ काठुड गोठी राजपत ८०५ घोरवडांशु जलहर ४४ ५७८ ६२० ६८९ SX चाहमान चौलुक्य प्रतिहार राठउड सोलंकी लघुशाखा वघेरवाल [गोत्र] राय भंडारी शंखवाल शानापति पंडरेक सीढ हुबड [गोत्र] गंगा मंत्रीश्वर रजीआण डोसी दूताड़ धांध फसला मिधूज मुहता राउखा वरही रहुराली (!) वणागीआ वपुगणा तुडिला वालिडिवा श्रवाणा पटवड षांटरा संखवालेचा १६२ ६४३ ५८६ ५४७ ५७६ १.२ १९७ ५८६ ७६४ ६१६ ७६६ ८४२ ७६८ ३४, ५०, ५५१, ५७१, ६६६, ९८६

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