Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 320
________________ (२७७) J( 997 ) संवत् १५५८ वर्षे --सु० ११ गुरौ उपकेश ज्ञातीय श्री रांका गोत्र साण तथ सुत सान्मूहडेन महराज महिय - - युतेन आत्म श्रेयसे श्री मुनि सुव्रत स्वामि विवं कारित प्रतिष्ठितं श्रीमदूकेश गच्छे श्री ककुदाचार्य संताने श्री कक्कसूरि पह श्री देव गुप्त सूरिभिः । ( 998 ) सं० १५६१ वर्षे पोस वदि ५ सोमे ओश वंशे लोढ़ा गोत्रे सउधरी लाधा भार्या मेह्मणि सु० प्रेम पाल - - सुश्रावकेण - तेजपाल श्रेयो) श्री अजुल गच्छे श्री माय सागर सूरिणामुपदेशेन श्री आदि नाथ विंवं का०प्र० श्री र - - ( 999 ) सं० १६६१ वै० सु० ज० भ० सचटी-..। ( 1000 ) सं० १९३१ मोघ शुक्ल पक्षे द्वा. तिथौ १२ बुधे श्री ऋषत जिन विंबं कारित अलवर नगर वास्तव्य श्री संघेग मलधार पुनमियां विजय गच्छे सार्वभौम भहारक श्री जिन चंद सागर सूरि पहालंकार सोमित श्री जिन शांति सागर सूरिभिः प्रतिष्ठितं मधुबन मध्ये। पटना म्युझ्यम । ( 525 ) संवत् १८७४ शाके १७३६ प्रवर्तमाने शुभ ज्येष्ठमासे कृष्ण पक्षे पंचम्यां तिथी सोमदिने श्री व्यवहार गिरि शिखरे श्री शांतिजिन चरण प्रतिष्टितं महारक श्री जिनहर्ष सूरिभिः ॥

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