Book Title: Bangal Ka Aadi Dharm
Author(s): Prabodhchandra Sen, Hiralal Duggad
Publisher: Vallabhsuri Smarak Nidhi

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Page 71
________________ मूर्ति से मिलती जुलती है। साज़बाज़ सहित सभानाथ का नंगापन तथा इस मूर्ति को इर्द-गिर्द घेरे हूए अन्य २३ तीर्थंकरों की मूर्तियां बड़ी अलौकिक प्रतीत होती हैं ।* २. वर्धमान जिलांतर्गत अजानी से भगवान् शांतिनाथ की मृति प्राप्त हुई है। ३. बांकुड़ा जिलांतर्गत बाहुलारा हरमशरा, देवलवीरा और सिद्धेश्वरा आदि स्थानों से भगवान पार्श्वनाथ की अनेक मूर्तियां प्राप्त ४. एक पाषाण मूर्ति श्री ऋषभनाथ की घाटेश्वर नगर (जो कि चौबीस परगना में स्थित है) प्राप्त हुई है। ... __५. एक धातु की मूर्ति अम्बिका देवी (भगवान नेमि नाथ की शासन देवी) नगरोला गांव से प्राप्त हुई है । ६. इसी प्रकार मानभूम, सिंहभूम, रांची आदि जिलों में तथा बिहार प्रांत में छोटे नागपुर में अनेक जैनमूर्तियां पायी जाती हैं। इन मूर्तियों पर क्रौंच, स्वस्तिक, चक्र आदि चिन्ह पाये जाते है। __ हमारे ख्याल से पुरातत्त्व-वेत्ताओं ने जैन तीर्थंकरों की नग्न मूर्तियों को दिगंबरों की मान वर तथा अनग्न श्वेताम्बरों की मान कर बंगालदेश से प्राप्त इन जैनमूर्तियों को दिगंबर संप्रदाय की कह कर इस बात का अनुमान लगाने में भूल की है कि "इन से विदित होता है कि दंगाल-देश में श्वेताम्बरों के बहुत कम अनुयायी थे तथा दिगम्बरों का समर्थन करने वाले बहुत अधिक संख्या में थे" । क्योंकि ये पुरातत्ववेत्ता जैनेत्तर बंगाली विद्वान हैं इस लिये * जैन भारती वर्ष ११ अङ्क १ जनवरी १६५२ प्रमोद लाल पाल द्वारा बंगाल में जैनधर्म का लेख ।

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