Book Title: Apbhramsa Pathavali
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Gujarat Varnacular Society

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Page 4
________________ निवेदन गुजराती भाषानो पद्धतिसर अभ्यास करवा सार अपभ्रंश साहित्यनुं ज्ञान परम उपकारक छे, एवं सूचन घणां वर्षोंथी दी. बा. केशवलाल हर्षदराय ध्रुव करता याव्या' छे; पण ते साहित्य घणुंखरूं भंडासेनी हाथप्रतोमा केटलीक वार अज्ञात भने अप्रसिद्ध पडेलु होवाथी बहु ज थोडा अभ्यासीओ तेनी लाम लाई सकेले. सोसाइटीना प्रमुख तरीके दी. बा. केशवलालभाइ छेल्लां पंदर वर्षयी प्रतिवर्ष निमाय छे; अने तेमनी प्रेरणाथीं सोसाइटीए जे अनेक प्रवृत्तिभो नवी ऊपाडेली छे, तेमां प्राचीन काव्यसाहित्य- प्रकाशन मुख्य छे. __ मुंबाई युनिवर्सिटी तस्फथीं क्सनर्जी माधवजी व्याख्यानो, छो विषे तेओं तैयार करता हता, ३ अरसामा श्रीयुत मधुसूदन चिमनलाल मोदीनी तेमने प्रो. बळवन्तराय सकारद्वारा परिचय थयो. श्रीयुत मधुसूदनमार, एम. ए. एलएल. बी थयेला छे; एटलुज नहि पण संस्कृत पाली, प्राकृत तथा अपभ्रंश साहित्यता सारा मता छै; भने अपभ्रंश तथा प्राकृतिनों केटीक पुस्तक मणे संपादितः पण करेंला छै. ____दी. बा. केशवलालभाइ लांबा समयथी अपभ्रंशपाठावली तैयार कराववानो अभिलाष सेवता हता, अने श्रीयुत मोदी साथैनो परिचय वधता, एमना हाथे ते पुस्तक तैयार कराववानो निर्णय तेमणे को. सोसाइटीनी कमिटी समक्ष ते विचार रजु करतां, सौए ते योजना पसंद करी हती; अनेः दी. बा. केशवलालभाइनो सलाह, सूचना भने देखरेख नीचे श्रीयुत मोडीने अपभ्रंशपाठावलीनुं संपादनकार्य सेपिकालो ठराव करवामां आव्यो. श्रीयुत मोदीए ए कार्यमां पोतानो घणो किंमती समय व्यतीत करे छे. खुशी थवा जेवु ए छे के ए पुस्तक प्रसिद्ध थवा पामें तें आगम, ज अर्धमागधीमां बी. ए. ना वर्ग माटे ते एक पाठ्यपुस्तक तरीके मैंजुर थयुं है. शाम सोसाइटीनों आशय अनायासें फळीभूत थई जाय छे. ते बदल खरे श्रीयुत मधुसूदन मोदीने धन्यवाद घटे छे. गु. व. सोसाइटी, ) अमदावाद, ता. २५---१२-१९३५) हीसलाल: बि. पारेख आसि., सेक्रेटरी.. -

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