________________
भीष्म का बिछोह
कर देंगे।"- गुप्तचर ने कहा।
४८१
'पीर कुछ ?',
"दुर्योधन, कर्ण, तथा दुःशासन ने यह पडयन्त्र दुर्योधन के शिविर मे बैठ कर रचा है "
गुप्तचर की बाते सुन कर सारे पाण्डव चिन्ताग्नहस्त हो गए। वे द्रोणाचार्य की अद्वितीय शूरता, एवं शस्त्र विद्या के अनुपम ज्ञान से तो भलि भाति परिचित ही थे । अतः जब द्रोणाचार्य द्वारा दुर्योधन को महाराज युधिष्टिर के जीविन पकड कर उन्हें सौप दिए जाने के वचन की बात सुनी तो वे भयभीत भी हुए।
अर्जुन ने 'कहा--"अब तो किसी भी प्रकार महाराज युधिष्ठिर की रक्षा का पूरा पूरा प्रवन्ध किया जाना चाहिए। कही शत्रु अपनो योजना.मे सफल हो गए तो हम कही के न रहेगे।" . - भीम ने कुछ दृढ होकर कहा-'हम सबको अपनो सेना सहित महाराज के चारो ओर रक्षार्थ रहना चाहिए।"
'नकुल तथा सहदेव ने भी भीमसेन का समर्थन किया। अर्जुन ने भी समर्थन कर दिया, पर अन्तं मे इतना और कह दिया-"कल का दिन हमे बडी सावधानी से व्यतीत करना है । शत्रु की प्रत्येक चाल को समझ कर युद्ध करना होगा। तनिक सी भी भूल हमे ढेर कर देगी।"
युधिष्ठिर ने उसे सन्तुष्ट करते हुए कहा-"भयभीत होने की आवश्यकता नही । कल हम अपनी व्यूह रचना इस प्रकार करगे कि शत्रु का उद्देश्य पूर्ण हो हो न सके। हा. यदि हमे उनके पडयन्त्र का पता न चलता तो सम्भव था वे सफल हो जाते।"
थोडी देर बाद सभी अपने अपने शिविर मे चले गए । और छावनियो पर निस्तब्धता छा गई।
छावनियोडी देर बाद
वा वे सफल हो जाते में उनके पड