Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ तत्थ सुरासुरणायरमणुअचउप्पयमयं जयं सव्वं / जइ मायं ता गामो कह णु ण माइज्ज वालुंके // 123 // अण्णं च इमं सुव्वइ अरणीपव्वम्मि धम्मपुत्तस्स / कहिअं सुअमणुभूअं मक्कंडेणं च अण्णजए // 124 // सो किल जुगंतसमए उदएणेगण्णवीकए लोए / वीईपरंपरेणं घोलिंतो उदयमज्झम्मि // 125 // पिच्छइ गयतसथावरपणट्ठसुरणरतिरिक्खजोणीअं / एगण्णवं जगमिणं पंचमहाभूअपब्मटुं . // 126 // एवंविहे जगम्मी पिच्छइ णग्गोहपायवं अह सो। .. मंदरगिरि व्व तुंगं महासमुदं व वित्थिण्णं // 127 // खंधम्मि तस्स सयणं अच्छइ तहिं बालओ मणभिरामो / संपुण्णसरीरुदओ मिउमद्दवकुंचिअंसुदेसो // 128 // हत्थो पसारिओ से रिसिणा एहेहि वच्छ ! भणिओ अ / खंघे ममं विलग्गसु मा मरिहिसि उदयवाहीए // 129 // तेण य घित्तुं हत्थो ओइलिओ सो रिसी तओ तस्स / पिच्छइ उअरम्मि जयं ससेलवणकाणणं सव्वं // 130 // दिव्वं वाससहस्सं कुच्छीए सो रिसी परिभमंतो / अंतं न चेव पत्तो विणिग्गओ रिसिवरो तत्तो // 131 // जइ दारयस्स उअरे ससुरासुरमाणुसं जयं मायं / तो चिब्भडम्मि गामो कहणु ण माइज्ज कंडरिअ // 132 // ढिंकोअरे अयगरो तस्स पसूई अ चिब्भडं उअरे / . तत्थ वि य जणसमूहो कहमाओ भणसि सुणसु इमं // 133 // मुट्ठीगिज्झसुमज्झाइ केसवो देवईइ कुच्छिम्मि। - वुत्तो तस्स य उअरे ससेलवणकाणणा पुहई - // 134 // 206

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