Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ चउसु अ दिसासु जहिअं धावइ लोगो भवंतरदिसट्ठा / सीसेण य छम्मासं धरेइ धारंबढाए // 252 // जइ महसेणंगाई पिहुंगब्भविणिग्गयाइं लग्गाई। तो तुज्झ न लग्गिज्जा ताई किमेगुदरवत्थाई // 253 // छिण्णा णासा कण्णो अ लग्गए लोअविइअमेअंपि।। परमाणुपमाणओ पगंपिओं [य] लग्गसि तुमं पि // 254 // तो भणइ एलसाढो पुरिसो कह छिण्णएण सीसेणं / भुक्खत्तो बयराइं खाएउं सक्कए कह णु // 255 // भणइ ससो राहू किर सीसच्छिण्णो जयम्मि सुइवाओ / तह विअ गयणे हिंडइ आभंसइ चंद-सूरे अ // 256 // अह भणइ एलसाढो कह गम्मइ तं विगिट्ठमद्धाणं / कह वावि जोअणसयं कमेहिं अक्कमइ भूमीए // 257 // पडिभणइ ससो जण्णे बलिस्स विण्हू दिआइवेसेण / तिण्णि कमे जाइत्ता हरइ ससेलं वसुमई सो // 258 // जइ सव्वा वि वसुमई तिण्णि ण पुण्णा कमे महुमहस्स / को दोसो जइ तुझं इक्ककमो जोअणसयं तु // 259 // पुणरवि एलासाढो भणइ सिला सा मए अइमहल्ला / . कह उक्खित्ता गरुआ एअं मे पत्तिआवेहि // 260 // भणइ ससो किं ण सुअं तुमए रामायणे कहिज्जंतं / रामस्स रावणस्स य संगामे वट्टमाणम्मि // 261 // लक्खणकुमारपडणे हणुएण दोणपव्वओ तुंगो। ओसहिमग्गंतेणं समूलडालो समुक्खित्तो // 262 // महइसिलासंघाओ सेलो जइ वाणरेण उक्खित्तो / जोअणपमाणमित्तं उक्खिवसि सिलं न संदेहो // 263 // 280

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