Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ वेसाणरेण भणिअं को धावइ अभिमुहं मुहत्तं पि / इहरा वि उमावइणो किं पुण एयारिसे भावे // 228 // णरसिरकवालमालाउलस्स खटुंगवग्गहत्थस्स / जस्स रई पेअवणे को तस्स जणो समल्लिअइ // 229 // जो दारुवणे रिसिआसमम्मि विणिअंसणो पलायंतो / वहिओ उद्धअलिंगो को तं विबुहो समालवइ // 230 // किं बहुणा जणमझे जो णच्चइ उद्धिएण लिंगेणं / बलवंतो वज्जहरो तस्स वि णिस्संसयं भाइ // 231 // जइ कह वि. सूलपाणी कुप्पइ हिमगिरिगुहापविट्ठस्स / को जाणइ किं मे होहिइ ति मा संकडे छुहह // 232 // इत्थंतरे अ भणिओ सप्पणयं बहुअलोअणेणेवं / / सव्वसुराणं वयणं हुअवह ! इणमो. णिसामेहि // 233 // मा भाहि उमावइणो हुअवह ! जेणेरिसो उमासत्तो / गयतुरयपुरिसदमणो किं च इमो आगमो ण सुओ // 234 // हत्थी दम्मइ संवच्छरेण मासेण दम्मइ तुरंगो / महिला पुण किर पुरिसं दमेइ इक्केण दिवसेणं // 235 // जं भणइ उमादेवी करेंइ तं पसुवई अकज्जं पि / किं वा देहाणुगयं उमं वहतो ण दिट्ठो ते // 236 // मुंचसु आसंकमिणं रुद्दो रुट्ठो वि ते सरीरस्स। ण करेइ कि पि पीडं पव्वइचित्तावरक्खाए // 237 // . इअ होउ त्ति अ जलणो गंतुं हिमवंतगिरिगुहं विउलं / / पिच्छइ. तिउरंतयरं रइकज्जसमुग्गयमईणं / // 238 // अब्भासत्थं दर्दू महदेवो उट्ठिओ समारूढो / हुं हुं उमाइ भणिओ उद्भुयलिंगोऽणलं भणइ // 239 //

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