Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ उड्ड णिअंचिअ वयणं पिब रेअंमा करेहि विक्खेवं / रुद्देण हुअवहो घडघडस्स तो पाइओ रेअं. // 240 // उअरगएण य रेएण सो पलित्तग्गिणा व डझंतो। .. मुअमरणो संभंतो कहकह वि महोअहिं पत्तो // 241 // दाऊणमंगुलिं हुअवहेण उग्गालिओ जले रेओ / उग्गालिअम्मि रेए ताहे. जलणों समासत्थो // 242 // . तप्पभिई चिअ सुम्मइ जणसुइवायागयं इमं वयणं / रेअपभावा किर सागरम्मि रयणाण उप्पत्ती // 243 // लवणजलाओ अग्गी णीलुप्पलसुरहिकमलगंधड्ढे / ... सरमेगं गंतुं जो रेअवि सेसं समुग्गिलइ // 244 // जं भण्णइ कित्तिअ सह उअंति फुडविअडपायडं ताओ / छक्किर अच्छरसाओ तं पउमसरं समोइण्णा // 245 // ता मज्जिउमाढत्ता तम्मि सरे णयणमणभिरामम्मि / मज्जंतीणं जोणीसु ताण बीअं अणुपविटुं ... // 246 // पउमसरे मज्जित्ता पुणरवि ता जोइसालयं पत्ता / पइदिवसं चिअ तासि छह वि परिवड्डए उअरं // 247 // कालंतरेण केण य समयं चिअ ता तहिं पसूआओ। इक्किक्कमुत्तिमंगं बाहूरुसरीरुंडाइं // 248 // ता ता वि विम्हियमणा दंसंति परुप्परिक्कमिक्कस्स / पिच्छसु अच्छेरमिणं लोगम्मि अभूअपुव्वं तु // 249 // बाहूरू अ सरीरं सीसाणि अ णिअय-णिअयठाणेसु / लग्गाई तक्खण च्चिय महसेणो छम्मुहो जाओ // 250 // कोमारबंभयारी णिच्छइ मणसावि जुवइसंजोंअं / / सव्वजणम्मि पगासो दक्खिणदेसे ठिओ रण्णे . // 251 // 286

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