Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ तस्स य हिढे जक्खो कमलदलक्खो गुणेहिं परिकिण्णो। सण्णिहिअपाडिहेरो देइ वरं सो वरत्थीणं जक्खस्स तस्स जत्ता वट्टइ बहुजणसमाउला मुइया / तत्थेइ जणो मुइओ धूवबलीपुष्फहत्थगओ // 10 // ण्हायपसाहियजिमिओ सव्वालंकारभूसियसरीरो / णाणाविहवत्थधरो चंदणपरिवण्णणविलितो. // 101 // . तो हं सकोउहल्लो उवागओ तं महायणसमूहं / जक्खस्स कमे णमिउं रममाणे घोडहे पिच्छं // 102 // सण्णद्धबद्धकवया गहिआउहपहरणा य अइबहुला / कलयलरवं करिता पडिया चोरा णवरि तत्थ // 103 // तो सो सबालवुड्डो सइथिओ जणवओ सपसुवग्गो। अह घोडएहिं सहिओ वालुंकं अइगओ सव्वो // 104 // तत्थ वि ते घोडहए रमंतपिच्छाजणे अ मुइअमणे / चोरा वि पडिणिअत्ता णट्ठों गामो त्ति जंपंता .. // 105 // णवरि तहिं पसुवग्गो चरमाणो आगओ सुधीसत्थो / इक्काइ पसूइ तओ ओइलिअं चिब्भडं सहसा // 106 // सा अयगरेण घत्था सो वि अ दिकीइ णवरि ओइलिओ। सा तत्थेव णिलीणा तुंगे वडपायवे विउले // 107 // तस्स अहे खंधारो णवरि ठिओ राइणो अ मत्तगओ। ढिंकीपाए जमिओ वडपारोहु त्ति काऊण // 108 // आउंचिअम्मि पाए कड्डिज्जइ गयवरो गुलगुलिंतो। . तो रवइ मिण्ठवग्गो केणावि गओ समुक्खित्तो // 109 // सोऊण ताण सदं संपत्ता सद्दवेहिणो जोहा। / इसुचावगहिअहत्था कलयलरावं करेमाणा // 110 // 274

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