Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ आओ अ महावाओ समंतओ पायवे अ. भंजंतो। तो तेणं पवणेणं वत्थाई हियाइं सव्वाइं // 406 // गच्छह तुब्भे चुइयारयं ति कंमारिया मए भणिया / .. जो दोसो अवराहो व को वि सो होहिई मज्झं // 407 // राउलभएण तोहं गोहारूवं करित्तु रयणीए / आया णयरुज्जाणं ससलिलघणसण्णिहं रम्मं // 408 // . विउले णयरुज्जाणे 'समंतओ हिंडिआ सुवीसत्था / अह पच्छिमम्मि जामे भयचिंता मे समुप्पण्णा // 409 // गोहं चम्मणिमित्तं मंसणिमित्तं च जणवओ हणइ / तो को हुज्ज उवाओ जह मरणभयं न हुज्जामि(हुज्ज त्ति ?)410 किं हुज्ज कयं सुकयं कत्थ गया णिव्वुई लहिज्जं ति / परिभममि समतेणं भयपवणसमाहयो तहिअं // 411 // बहुआई विचितेउं गोहारूवं तयं पयहिऊणं / रत्तासोअसयासे. चूअलया हं परावत्ता // 412 // दुस्सीला इव जुवई तिमिरपडं गुंठिआ गया रयणी / कमलागरतुट्ठिअरो सहसा य समुट्ठिओ सूरो // 413 // दिण्णो अ अम्ह अभओ रण्णा पउरेण चाउवण्णेण / जह उभिंडंतु ताइँ राउलरयगाइँ सव्वाइं // 414 // तो सो पडहगसद्दो णवपाउसघणवं विसेसंतो / आपूरेइ समंतो सब्भंतर-बाहिरं णयरं // 415 // सोउं पडहगसदं तो तं मुत्तूण चूअलयभावं / . लावण्णगुणाइन्ना पुणरवि इत्थी समुप्पण्णा // 416 // तस्स य सगडस्स तहिं णाडवरत्ता य तज्जणीओ य / / रयणीइ कोल्हुएहिं साणेहिं भक्खिया सव्वे // 417 // 300

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