Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ जइ गयमयसलिलेणं हयगयरहवाहिणी णई विउला / सरिआ तया पवत्ता तो तिल्लोदा कह ण होइ // 287 // रज्जाउ धाडिएणं सुव्वइ लोअम्मि भीमसेणेणं / गंतूण इक्कचकं घोरो बगरक्खसो वहिओ // 288 // भत्तं तंदुलकुंभं महिसं तह मज्जघडसहस्सं च / . जं तस्स भत्तपाणं उवणीअं तेण तं भुत्तं . // 289 // जइ बगरक्खसभत्तं भुत्तं. भीमेण तो किमेगेणं / भारेण वि तं जिमिओ भारसयं किं णं भक्खेसि // 290 // सुव्वइ अ कुंभयण्णो सुत्तविउद्धट्ठिओ णिंअयकालं / सो पिअइ घडसहस्सं खायइ णेगे णरसए अ // 291 // जइ पिअइ कुंभयण्णो सुत्तविउद्धट्ठिओ घडसहस्सं / दसहिं घडएहिं किं सस ! किं पण्णासं ण पीआ ते // 292 / / अण्णं च इमं सुव्वइ पुराणसुइणिग्गयं इमं वयणं / असुराण जह वहत्था अगस्थिणा सायरो पीओ ... // 293 // सग्गाओ अवइण्णा गंगा हरजडविणिग्गया संती। जण्हुरिसिआसमपयं मज्झेण उवागया णवरं // 294 // पीआ य तेण रिसिणा वाससहस्सं च भामिआ उअरे / तो जण्हुएण मुक्का किर भण्णइ जण्हवी तेणं // 295 // जइ उअहि अगत्थीणं पीआ गंगा य जण्हुरिसिणा य / / तो जइ दस तिल्लघडा पीआ य तए किमच्छेरं // 296 // भणइ ससो सो दिइओ सुमहंतो कह मए समुक्खित्तो / ' अह उक्खित्तो कह पुण णीओ एगागिणा गामं // 297 // उच्चप्फलिअं दाउं हसिऊणं खंडवाणई भणइ / / णूणं सस ! ण कयाइ वि सुओ तुमे गरुलवित्तंतों // 298 // 90

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