Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 303
________________ जो जत्तु च्चिय देवो सहसाऽमयमवहडं णिसामेइ / सो अहरफुरंतुट्ठो तत्तु च्चिअ मग्गिओ लग्गो // 335 // मुग्गर-मुसंढि-पट्टिस-गयकणगप्परसु-भिंडिमालेहिं / हल-मुसल-लउड-वलयासूलाउहपहरणसमग्गो // 336 // कलयलरवो सुराणं पूरेइ णहंगणं णिरवसेसं / ... हण, छिंद, भिंद, गिण्हह, मा मुयह रसायलगयं पि // 337 // . ओलग्गिओ अ गरुडो समंतओ देवसयसहस्सेहिं / परिवेढिओ अ भणिओ अमयाहारी हओसि त्ति // 338 // इक्कत्तु च्चिय भुवणं एकत्तो कासवंगओ पक्खी / ... कायरमणकंपणयं तेहिं अ समरं समारद्धं // 339 // सुरगणसयं सहस्सं लक्खं कोडि पि चउसु वि दिसासु / पेसेइ जमसयासं गरुडो पक्खप्पहारेहिं // 340 // विणयसुअस्स सुराण य गयणयले वट्टए महाघोरं / जुज्झं अमयस्स. कए विम्हावणयं तिहुअणस्स .. // 341 // तो सो देवसमूहो गरुडेणिक्केण रणमुहावडिओ। हयविहय दीणवयणो खणेण भग्गो णिराणंदो // 342 // देवे अ पराहुत्ते दटुं पलयग्गिजालसमसरिसं / / तो कुलिसं सहसपलोअणेण गरुडोवर मुक्कं // 343 // कुलिसं गरुडसरीरे पच्चुप्फुडिअं सिलायले चेव / इंदो भणइ अणंतं सहोअरं गरुडभयभीओ // 344 // तो तह वज्जाभिहयं ससुरासुरसमरपच्चयणिमित्तं / . गरुडेण चंचुआए सयमेवुप्पाडियं पिच्छं // 345 // विण्हू विअ पज्जलिओ बारसरवितेअसप्पभं चक्कं / / घित्तुं गरुडवहत्था अणुधावइ मग्गओ कुविओ - // 346 // 294

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