Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ कासवरिसिपत्तीओ कड्डू विणया अहेसि तीअम्मि / दोहिं वि ताहिं संवत्तीहिं किं पि किल पणिअयं छिप्पं // 299 // जा पणिअयम्मि जिप्पई तीए दासत्तणं च कायव्वं / जावज्जीवाइ च्चिय अहवा दायव्वयं अमयं // 300 // विणया जिअ कड्डूए करेइ दासत्तणं सवत्तीए / कडू वि सावत्तीवेहएण विणयं विमाणेइ // 301 // विणया किर गुरुभारा दासत्ते परमदुक्खिआ जाया / तत्थेव सा पसूआ तीसे अंडत्तयं जायं // 302 // दासत्तणमुक्खट्ठा भिदइ तत्थेगमंडयं विणया / तत्थ किल अंडयम्मी जाया विच्छू असंपुण्णा // 303 // दुम्मणमणा य विणया परितप्पइ अंडयं विणटुं मे / अण्णह चिंतेमि अहं तं पि अ मे अण्णहा होइ // 304 // मुच्चिज्ज पराहीणत्तणस्स अह णाम दासणामस्स / कह वि दुरासाइ मए अंडं भिण्णथिए भिण्णं // 305 // अद्धिइ लद्धाए विलविऊण आसाणिबद्धहिअयाए / कइहि वि दिवसेहिं तओ पुणो वि बिइअंडयं भिण्णं // 306 // बिइअंडम्मि अणूरु जाओ किल सो वि मायरं भणइ / . अम्मो तुम्हेहि इमं किमकाले अंडयं भिण्णं // 307 // जो ते. मणोरहो चिंतिउ त्ति सो पूरिओ मए हुतो / इण्डिं अयंगमो किं करेमि अहयं पराहीणो // 308 // एअं पि ताव तइअं परिरक्खसु अंडयं पयत्तेण / जो को वि इत्थ होही सो दुक्खविमुक्खओ तुम्हं // 309 // रहसारही अणूरू ठविओ सूरेण जो जगे अरुणो / . सयमेव य विणयाए कमेण तइअंडयं भिण्णं // 310 // 291

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