Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________ सहसा य उट्ठिओ हं धणुअं घित्तूण सरसहस्सं च / तो भंडणमाढत्तं चोराण महंत भीसणयं . // 180 // सत्तट्ठदसदुवालस [ह]यं इक्केण सरपहारेणं / जत्तो वलामि तत्तो पेसेमि जमालयं चोरे // 181 // तो चोराण सयं मे मुहुत्तमित्तेण घाइयं तहियं / हयसेसा सयराहं पडिआ मज्झोवरि सव्वे // 182 // तो मं खंडाखंडिं काउं सीसं च छिण्णिउं मज्झ / बयरीए ठविऊणं मुसिऊण घरं गया चोरा. // 183 सरुहिर-सकुंडलं. चिय सीसं मे बयरितरुवरारूढं / वीसत्थमणुव्विग्गं खायइ बोरे कसकसस्स // 184 // तं सीसं सूरुदए दिटुं लोएण बयरिउवरिम्मि / बयराइं खायंतं एस सजीओ त्ति काऊण // 185 // मज्झं अंगोवंगा जणेण पिंडे वि मेलिआ तुरिअं। जाओ पुणो वि तोऽहं णिरुवहयसरीरलायण्णो // 186 // एयं मे अणुभूअं सयमेव इमम्मि माणुसे लोए / जो पुण ण पत्तिअइ मं धुत्ताणं देउ सो भुति // 187 // भणइ संसो सब्भूअं कह सक्का भाणिऊ(उ) अलिअमेअं / जं पोराणसुईए भारह-रामायणे आयं // 188 // जमयग्गी आसि रिसी पत्ती तस्सासि रेणुआ ‘णामं / तीए सीलवईए णमंति कुसुमत्थिए रुक्खा // 189 / / दिट्ठो अणाइ राया अस्सावहिओ मणोअ से खुहिओं / ण णमंति. तओ रुक्खा ताहे जमयग्गिणा रामो // 190 // रुद्रुण समाणत्तो सीसं छिंदाहि दुट्ठसीलाए / तेण वि सीसं छिण्णं झड त्ति पिउवयणकारेण // 191 // 281

Page Navigation
1 ... 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326