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जैनियों में शान्ति और उसे शान्त करने के उपाय - प्र० धन्नालाल कालीवाल बम्बई, भाषा हिन्दी, पृष्ठ २४, वर्ष १६११ ।
मनो कोन हो सकता है - ले० प० जुगलकिशोर मुख्तार, प्र० जैन मित्र मंडल देहली, भा० हि०, पृ० १६ व० १९३१ - व० १६९४, प्र० कुरीति निवारणी सभा धामपुर ।
जैनेन्द्र के विचार - ले० प्रभाकर माचवे, भा० हि०, पृ० ३६३, व
१९३७ ।
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जैनेन्द्र प्रक्रिया - ले० प्राचार्य गुरणनन्दि, सपा० पं० श्रीलाल जैन, प्र० भारतीय जैन सिद्धान्त प्रकाशनी सस्था काशी, भाषा स०, पृष्ठ ३००, वर्ष १९२४, ० प्रथम |
जैनेन्द्र पचाध्यायीसूत्रपाठ - ले०पूज्यपाद स्वामी, स० वशीधर शास्त्री, प्र० गाधी नाथारग प्राकलूज, भा० स०, पृ० ५६, १० १६१२, प्रा० प्रथम | जैनेन्द्र व्याकरण - ले० पूज्यपाद स्वामी, टी. देव नन्दि ( महाकृति ), भा० ०, पृ० ३७० ॥
जोग शिक्षा - ले० प० भूधरदास, प्र० बा० सूरजभान वकील देवबन्द, भाषा हिन्दी व १८६८ ।
ज्योति प्रसाद - ले० माई दयाल जैन, प्र० जौहरीमल जैन सर्राफ देहली, भाषा हिन्दी, पृष्ठ १६८, १० १६३८, प्रा० प्रथम ।
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ज्योति प्रसाद भजनमाला - ले० कवि ज्योति प्रसाद, प्र० ज्ञानानन्द जैन बडौत (मेरठ) भा० हि०, पृ० ४८, ० १६१६, प्रा० चतुर्थ ।
ज्योतिषसार ( प्राकृत) — टी०सपा० प० भगवतदास जैन, भा०प्रा. हि०, ५०
८३, व० १६२३, ग्रा० प्रथम ।
भांजी की नारदीय लीला का अन्त - ले० प०
रामप्रस द शास्त्री,
प्र० दिग० जैन हितकारी सभा बम्बई, भा० हि० पृ० ३६
व० १६३२ ।
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० सतीशचन्द्र की स्पीच - प्र० जैन तत्त्व प्रकाशनी सभा इटावा, भा हि० ० १० ० १६१४, प्र० प्रथम ।