Book Title: Prakashit Jain Sahitya
Author(s): Pannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
Publisher: Jain Mitra Mandal

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Page 303
________________ रक्षा बंधुन कथा-लेक सुपी बापुरामलमे, २४, १९१२ । रयपसार - अतु० कलप्पा भरममा निवे, पृ० ११ व ११०! लघु अभिषेक-अनु० पासू गोपाल फडकुले, १० ४३, ब १६०५॥ व्यतरांचा आराधने पासन नुकसान-लेक हीराचन्द नेम चन्द्र दोषी, पृ. २४, २०१९१७। वैराग्य शतक-अनु० भानन्द ऋषि जी, ०.३५, ब० १९२७॥ श्रावका चार-अनु० बम्बमोंडा सुज गोंडा पारीरक, पृ० ३२ . श्रीपुर पार्श्वनाथ स्तोत्र - अनु० जिनदास शास्त्री, पृ० व १६२ . सजन चित्त वल्लभ-अनु० स० स० बालचन्दः कस्तूर चंद्र, पृ० १०, ३० १८९७ समाधि शतक-अनु० रावजी नेमचद शाह, पृ० १२४, ३० १९११ । सागर धर्मामृत-अनु० कलप्पा भरमप्पा निटवे, पृ० ६२८, २० १९१५ । सागार धर्मामृत-अनु० अज्ञात, पृ० ३१३ । सामायिक साथे- अतुल पार. एन. शाह, पृ० ४६, व० १८६, । सुभाषितावलिः सार्थ-अनु० रा०रा० बालचन्द कस्तुर चन्द, पृ०१८ १०. १८६७ ॥ स्वयभू स्तोत्र-अनु० पं० जिनदास शास्त्री, पृ० ३१०, २० १९२१ । गुजराती भाषा को पुस्तक अध्यात्म महावीर-ले. गांधी गोकुलदास नानजी, मनु० हरिलाल जीकराज, पृ० ४८; व० १९३२।। अध्यात्मिक विकास क्रम-ले० पं० सुखलाल संघवी;g. ८०,० १९२४ । अनित्य पञ्चाशत-अनु० हरिलाख जीवराज मई, पृ. १६, २०१७ असत कारणी-लेकालसी स्वामी, Part

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