Book Title: Prakashit Jain Sahitya
Author(s): Pannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
Publisher: Jain Mitra Mandal

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Page 340
________________ (३१%) १.९ ११२ २० १३ २५६ कर्म भाषा; ले० उग्रादित्या चार्य प्रथम २३ १८९६ कर्मप्रकृति भाषा प्राण ले० ब० सुन्दरलाल, प्र० स्वयं मुरादाबादा मा) हि०, पृ०६६, २०१९३५) मा० प्रथम कल्याणालोयरणा (कल्याणालोचना) सा० २० शर्ववर्माचार्य पृ० २३६ स्वामी कानमल कुप्पुम्वामी सुब्रह्मण्य नेटसन प्रज्ञात प्रा० भा० २६०; व. १६३६, मा० प्र० प्र० सद्बोधरत्नाकर जिनशतकम हरिश्चन्द्र १६३६ अभय मन्दि (महावृति) जोगीरासा २१-२३ कल्याण लोभना , (कल्याण लोचना) प्रा० र० १७,२० सर्वधर्माचार्य प्र० २२३६ २४ स्वामी काद मल; १३ कुन्घु स्वामी सुवह्मान्य नेटसमन १६ अक्षात १० प्र० भा० २ २६ व ११७ १२४ १२६ १२७ पं० सद्बोष रत्नाकर १२६६ जिन शतकार १३२ अनिम भारतेन्दु हरिश्चन्द १३७ ११ १९६६ १४८ १३ देवनन्दि (महाकृति) जोगशिक्षा

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