Book Title: Prakashit Jain Sahitya
Author(s): Pannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
Publisher: Jain Mitra Mandal

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Page 328
________________ परिशिष्ठ १. सार्वजनिक जैन पुस्तकालय, शास्त्रभंडार वे ग्रन्थागार जिनमे जैन धर्म सम्बन्धी विविध विषयक साहित्य, मुद्रित तथा हस्त लिखित, पर्याप्त मात्रा मे सगृहीत है, और जिसका उपयोग सदस्यों एवं स्थानीय व्यक्तियो के अतिरिक्त इतर स्थानो में रहने वाले विद्वान् भी डाक खादि द्वारा कर सकते हैं - १. ऐलक पन्नालाल दिगम्बर जैन सरस्वती भवन, बम्बई । J २. ऐलक पन्नालाल दिगम्बर जैन सरस्वती भवन, झालरापाटन । ३. जैन सिद्धान्त भवन, धारा (विहार) । ४ श्री वृद्ध मान पब्लिक लायब्ररी, धर्मपुरा देनी । ५. श्री यशोविजय जैन पुस्तकालय, बेलन गज, आगरा । ६. समन्तभद्र - भारती भवन, वीरसेवामन्दिर, सरसावा ( हाल देहली ) । उपर्युक्त प्रख्यात पुस्तकालयो ( जिनमे से प्रथम तीन की मुद्रित ग्रन्थ सूचियें - स्टेलाग भी प्रकाशित हो चुके हैं ) के अतिरिक्त प्राय प्रत्येक नगर कस्बे में जहाँ जहाँ जैनियो की बस्ती है, एक न एक छोटा बडा जैन पुस्तकालय और पाटन भवन भी मोजूद हैं । यद्यपि प्रत्येक जैन मन्दिर मे एक शास्त्र भार अवश्य ही होता है । जिसमे विकशित हस्तलिखित ग्रन्थ ही रहते हैं, किन्तु जैन हस्तलिखित ग्रन्थो के प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण भडार निम्नलिखित स्थानो में हैं -- जयपुर, देहली, ईडर, नागपुर मूडबिद्री श्रवण बेल्गोल, कारजा, पाटन, जैसलमेर, सूरत, कोल्हापुर अजमेर इत्यादि । जैन ग्रन्थो की ज्ञात हस्तलिखित प्रतियो का परिचय नीचे लिखे ग्रन्थों से प्राप्त किया जा सकता है - (१) जिन रत्न कोष-प्रो० हरिदामोदर वेलसुर

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