Book Title: Prakashit Jain Sahitya
Author(s): Pannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
Publisher: Jain Mitra Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 298
________________ * ( २७६ ) बिहारीलाल, प्र० एस० सी० जैन बुलन्दशहरी, ४० ३६, १० १३२३, पा० अव्वल । रहनुमा उर्फ जैन धर्म दरपन - ले० ना० दिखनदास बी० ए०, प्र० जैन मित्र मंडल देहली, पृ० १६, व० १९२५ । राम चरित्र से० ला० भोलानाथ बरखशां, प्र० मा० बिहारीवाल, अमरोहा, पृ० १०४, व० १६०५ । रिसाला सुखकारी- मोसमा युद्धमा शादी [ न० १]-ले० सा० प्रभूदयाल, ० खुद, पृ० १६ । रिसाला सुखकारी - मौसमा मुद्दमा शादी [न० २]-ले० ला० प्रभूवधाल प्र० खुद, पृ० २४ । रिसाला सुखकारी - मोसूमा मुद्दमा शादी (म० ३ ) -ले० ला प्रभुदयाल, प्र० खुद, पृ० २४ रिसाला सुखकारी - मोसमा मुद्दा शादी [ न० ४] - ले० ना० प्रभुदयाल, प्र० खुदः पृ० १६ । रूहानी तरक्की का राज - ले० जोतीप्रशाद जैनी, प्र० जैन मित्र मडम देहली, पृ० १६, ० १९३५ । रूहानी तरक्की का राज -ले० जोतीप्रशाद जैनी, प्र० जौहरी मल जैन सर्राफ देहली, पृ० १६, १० १६३६, प्रा० दूसरी । लावनी कर्ता खंडन का फोटू-ले० ना० बोतीप्रशाद, प्र० खुद पृ० ८ व० १६०४ । लुत्फे रूहानी उर्फ श्रात्मिक आनन्द - संपा० मा० विसम्भरदास, प्र० ला० गुरप्रशाद जैन तोशाम [ हिसार ], पृ० ५६, ब० ११२३ । व या जात क्या चीज है-लं० बा० रिखबदास वकील, प्र० जैन ट्रैक्ट प्रचारक मडल कीरतपुर, पृ० १६, १० १९१५० ग्रा० प्रथम । वीर अकलक देव वे० ला• शेरसिंह नाज, प्र० मा सहाय देहली, ५० ६४ । पारे लाड़ देवी

Loading...

Page Navigation
1 ... 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347