Book Title: Chaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Author(s): Manivijay
Publisher: Jain Sangh Boru

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Page 5
________________ श्रीवीराय नमः । श्रीगौतमाय नमः । श्रीसद्गुरवे नमः। प्रातःस्मरणीय १००८ श्रीमन्मुक्तिविजय-मुलचंदजीगणिगुरुभ्यो नमः श्रीचौमासीव्याख्यान भाषांतर तथा तेरकाठीयानुं स्वरूप। 33434343434 '0'30)卐Fyms | अथ श्रीचौमासीव्याख्यानं आरभ्यते । हवे चौमासी व्याख्याननी शरुआत कराय छ, यतः. स्मारं स्मारं स्फुरज्ज्ञानं, धाम जैनं जगन्मतम्, कारं कारं क्रमाम्भोजे, गौरवे प्रणतिं पुनः॥१॥ निबद्धां प्राक्तनप्राज्ञैर्वीक्ष्य व्याख्यानपद्धतिम्, लिख्यते लेशतो व्याख्या, चातुर्मासिकपर्वणः॥२॥ भावार्थ:-स्फुरणायमान ज्ञानवालु, तथा जगतना जीवोये मानेलं एहq जिनेश्वर महाराजनुं जे तेज, तेनुं स्मरण करी करीने, तथा गुरु महाराजना चरणकमलोने वारंवार प्रणति-नमस्कार करी करीने, आगल उपर थइ गयेला महानुभाव पंडितपुरुषोये बांघेली एवी व्याख्याननी पद्धतिने देखीने, हुं पण आ चौमासी पर्वनी कथानुं व्याख्यान लवलेशथी करूं छु. आवी रीते चौमासी व्याख्यानना कर्ता महात्माश्री क्षमाकल्याणक मुनि महाराजा भव्य जीवोने उपदेश करवा निमित्ते कथन करे .

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