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अमरकोषः। [द्वितीयका१ 'कबरी केशवेशोऽ २५ धम्मिलुः संयताः कचाः। ३ शिखा चूडा केशपाशी४ वतिनस्तु जटा सटा ।। ९७ ।। ५ वेणिः प्रवेणी ६ शीर्षण्यशिरस्यो विशदे कचे। ७ पाशः पक्षश्च हस्तश्च कलापार्याः कचात्परे ॥ ९८ ॥ ८ तनूरुहं रोम लोम ९ तवृद्धौ श्मश्र पुंमुखे । १० आकल्पवेषौ नेपथ्यं
१ कबरी (+ कवरी। स्त्री), केशवेशः ( + केशवेषः । पु), 'बालके रचना-विशेष' के २ नाम है ॥
२ धम्मिल्लः (पु), 'पटिया, जूड़ा' अर्थात् 'बाँधे हुए स्त्रियों के बालके रचना-विशेष' का , नाम है ॥
३ शिखा, चूडा, केशपाशी (३ स्त्री), 'शिखा, चुटिया, चुन्नी' के नाम हैं।
४ जटा, सटा ( २ स्त्री ), 'जटा' अर्थात 'मापसमें सटे हुए बाल या ऋषियोंकी जटा या जटामात्र' के २ नाम हैं।
५ वेणिः ( + वेणी), प्रवेणी ( +प्रवेणिः । २ स्त्री), 'बाल की गुधी हुइ चोटी' के २ नाम हैं ॥
६ शीषण्यः, शिरस्यः (२ पु), 'निर्मल बात' के १ नाम हैं। __७ पाशा, पक्षः, हस्तः (३ पु), ये तीन शब्द 'कच' शब्दसे परे रहने पर अर्थात् 'कचपाशः, कचपक्षः, कचहस्तः, (३ पु), या कच ( केश) के पर्याप. वाचक शब्दसे परे रहने पर अर्थात् केशपाशः, केशपक्षः, केशहस्तः, वालणशः, वालपतः, वालहस्तः (६ पु ), इत्यादि नाम 'केश-समूह' के हैं ।
८ तनूरुहम् . रोम ( = रोमन् ), लोम ( = लोमन् । ३ न), 'रोएं' के ३ नाम हैं।
२ श्मश्रु ( + स्मश्रु । न ), 'दाढ़ीके बढ़े हुए बाल' का । नाम है ।
१. आकल्पः, वेषः ( + वेशः । पु), नेपथ्यम् (न । +पु), 'बाभूषण आदिसे उत्पन्न शोभा' के ३ नाम हैं ।
१. "कवरी केशवेषोऽथ" इति पाठान्तरम् ॥ २. "व्रतिनः प्ता जटा सटा' इति पाठान्तरम् । अत्र 'ता' शम्दः केशार्थकः । ३. "स्मश्रु पुंमुखे" इति पाठान्तरम् ॥
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