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वश्यवर्ग: ९) मणिप्रभाव्याख्यासहितः।। १ चिकणं मसृणं स्निग्धं २ तुल्ये भावितवासिते ॥ ४६॥ ३ आएवं पौलिरभ्यूषो ४ लाजाः पुंभूस्नि 'चाक्षताः। ५ पृथुकः म्याञ्चिपिटको ६ धाना 'भ्रष्टयवे स्त्रियः॥४७॥ ७ पूपोऽपूपः पिष्टकः स्यात् ८ करम्पो दधिसक्तवः। ९ भिस्मास्त्री भक्तमन्धोऽन्नमादनोऽस्त्री सदोदिधिः॥४८॥ १० भिस्सटा दग्धिका--
धिक्कगम्, मसृणम्, स्निग्धम् (३ त्रि), 'चिकने पदार्थ के ३ नाम हैं। २ भावितम्, वासितम् (२ त्रि), हींग आदिसे सुवासित ज्यानादि' के २ नाम हैं ॥
३ भापक्वम् (न), पौलिः, अभ्यूषः ( + अभ्योषः, अभ्युषः । २ पु), 'होरहा, मुरमुरा, ऊमी, हाबुस आदि अधपके (तताये हुए) पदार्थ के ३ नाम हैं।
४ लाजाः ( + स्त्री), अक्षताः (२ पु नि. ब. २०), 'लावा, खोल' . अर्थात् 'भूजे हुए धान आदि' के २ नाम हैं। ('किसी २ के मतसे 'लाजा' यह । नाम उतार्थक है और 'अक्षता:' यह १ नाम 'देवताओं को चढ़ाने के योग्य चावल' का है')॥
५ पृथुका, चिपिटकः (+ चिपिटः । २ पु ), 'चिउड़ा' के २ नाम हैं।
६ धानाः (स्त्री नि. व. २०), 'भुने हुए जौ' अर्थात् 'फरुही या बहुरी' का । नाम है।
पूपः, अपूमः, पिष्टकः (३ पु), 'पूषा, मालपूआ मआदि के ३ नाम हैं॥
८ करम्भः ( + करम्बः । पु), दधिशक्तवः (भा. दो०, नि..ब. ब.), 'दहीसे युक्त सत्तू' के २ नाम हैं ॥
९ मिस्सा (स्त्रो), भकम् , अन्धः ( = अन्धस्), अन्नम् (३ न), ओदनः (पुन), दीदिविः (पु। +नो), 'भात' के ६ नाम हैं।
१. भिस्सटा, दग्धिका (२ सी), 'जले हुए भात मादि' के नाम है। १. 'चायतम्' इति मुकुटः' इति मा० दो० ॥ २. 'भृष्टयरे पति पागन्तरम् ॥
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